उन्नाव रेप केस की पीड़िता क्या न्याय भी नहीं मांग सकती? पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित हुई, जमानत दी गई। लेकिन पीड़िता को प्रोटेस्ट नहीं करने दिया गया। मीडिया से बात नहीं करने दी गई। सीआरपीएएफ़ जवानों की बस में पीड़िता की मां के साथ धक्का-मुक्की होने और साथ में महिला पुलिसकर्मी के नहीं होने के आरोप लग रहे हैं। यह सब उस पीड़िता के साथ हो रहा है जिसको नाबालिग रहते अगवा कर बलात्कार किया गया। जिनके पिता की पिटाई की गई और पुलिस हिरासत में मौत हो गई। उनके परिवार पर हमला हुआ। पीड़िता जब वकील और अपनी दो मौसियों के साथ कार से जा रही थी तो रायबरेली में ट्रक ने टक्कर मार दी थी जिसमें दो मौसियों की मौत हो गई थी।

दरअसल, राजधानी दिल्ली में उन्नाव बलात्कार मामले की पीड़िता और उनकी मां के साथ दिल दहला देने वाले दृश्य देखने को मिले। दोनों को मीडिया से बात करने और विरोध प्रदर्शन करने से रोक दिया गया। रिपोर्टों में कहा गया है कि सीआरपीएफ की बस में बुजुर्ग मां के साथ धक्का-मुक्की हुई और मजबूरन उन्हें कूदना पड़ा। पीड़िता और उनकी मां पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट से मिली राहत के खिलाफ विरोध कर रही हैं।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित कर दी और अपील लंबित रहने तक सशर्त जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि पुराने पोक्सो कानून के तहत विधायक 'पब्लिक सर्वेंट' नहीं माने जाते, इसलिए न्यूनतम सजा 7 साल होती है और सेंगर 7 साल से ज़्यादा जेल में रह चुके हैं। हालाँकि, 15 लाख का मुचलका, सिर्फ दिल्ली में रहना, पीड़िता के घर से 5 किमी दूर रहना, परिवार को धमकी न देना, पासपोर्ट सरेंडर करना और हफ्ते में पुलिस को रिपोर्ट करने जैसी जमानत की शर्तें लगाई गई हैं। इधर, पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल की सजा अलग से है, इसलिए सेंगर अभी जेल में ही रहेंगे।

यह फ़ैसला हमारे परिवार के लिए काल: पीड़िता

पीड़िता ने इस फ़ैसले को अपने परिवार के लिए 'काल' बताया। उन्होंने पीटीआई से कहा, 'यह फैसला हमारे लिए मौत से कम नहीं। हम सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। अगर ऐसे मामलों में दोषी को जमानत मिलेगी तो देश की बेटियां कैसे सुरक्षित रहेंगी?' पीड़िता ने बताया कि उनकी सुरक्षा, वकीलों और गवाहों की सुरक्षा पहले ही हटा ली गई है, जिससे डर और बढ़ गया है।

मीडिया से बात नहीं करने दी?

मंगलवार की रात पीड़िता, उनकी मां और एक्टिविस्ट योगिता भयाना इंडिया गेट पर विरोध कर रही थीं, जहां उन्हें हिरासत में ले लिया गया। बुधवार सुबह वे मंडी हाउस में मीडिया से बात करने और विरोध करने जा रही थीं। सीआरपीएफ की सुरक्षा वाली बस में वे सवार थीं, लेकिन बस मंडी हाउस पर नहीं रुकी। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार सीआरपीएफ अधिकारी ने कहा कि इंडिया गेट या मंडी हाउस पर विरोध की इजाजत नहीं थी, इसलिए उन्हें जंतर-मंतर या दिल्ली वाले घर ले जाया जा रहा है।
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एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार चलती बस में पीड़िता की मां गेट पर खड़ी दिखीं। सीआरपीएफ जवानों ने उन्हें कोहनी मारी और चलती बस से कूदने को कहा। हैरानी की बात है कि बस में कोई महिला जवान नहीं थी। धक्का-मुक्की के बाद मां को चलती बस से कूदना पड़ा। बस पीड़िता को लेकर आगे चली गई।

रिपोर्ट के अनुसार पीड़िता की मां ने मीडिया से कहा, 'हमें न्याय नहीं मिला। मेरी बेटी को कैद कर लिया गया। लगता है वे हमें मारना चाहते हैं। सीआरपीएफ वाले मेरी बेटी को ले गए और मुझे सड़क पर छोड़ दिया। हम विरोध करने जा रहे थे, लेकिन जबरदस्ती ले गए। हम जान दे देंगे।' पीड़िता ने एनडीटीवी से कहा, 'हमारी न्यायपालिका हमारे साथ ऐसा कैसे कर सकती है?' उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले सेंगर को राहत मिलना संदेहास्पद है और वे सुप्रीम कोर्ट में इमरजेंसी सुनवाई की मांग करेंगी। उन्होंने कहा, 'कुलदीप सिंह के पास पैसा और ताकत है, इसलिए वह बच जाता है और हमें सहना पड़ता है।'
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क्या है उन्नाव रेप केस?

2017 में उन्नाव में 17 साल की नाबालिग लड़की का अपहरण कर पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने बलात्कार किया था। मामला सामने आने पर सेंगर को पार्टी से निकाल दिया गया। 2019 में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें नाबालिग से बलात्कार का दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा दी। पीड़िता के पिता को झूठे मामले में फंसाया गया और हिरासत में उनकी मौत हो गई, इसमें भी सेंगर साज़िश रचने के दोषी पाए गए। पिछले 8 सालों में परिवार को कई धमकियां और दुर्घटनाएं झेलनी पड़ीं।

पीड़िता से अपराधी सा व्यवहार: राहुल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीड़िता को प्रदर्शन नहीं करने देने और उनके साथ किए जा रहे व्यवहार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि पीड़िताओं के साथ अपराधियों सा व्यवहार, ये कैसा न्याय है?
उन्होंने कहा, "क्या एक गैंगरेप पीड़िता के साथ ऐसा व्यवहार उचित है? क्या उसकी 'गलती' ये है कि वो न्याय के लिए अपनी आवाज़ उठाने की हिम्मत कर रही है? उसके अपराधी (पूर्व BJP MLA) को ज़मानत मिलना बेहद निराशाजनक और शर्मनाक है - खासकर तब, जब पीड़िता को बार-बार प्रताड़ित किया जा रहा हो, और वो डर के साए में जी रही हो। बलात्कारियों को ज़मानत और पीड़िताओं के साथ अपराधियों सा व्यवहार - ये कैसा न्याय है? हम सिर्फ़ एक मृत अर्थव्यवस्था नहीं - ऐसी अमानवीय घटनाओं के साथ हम एक मृत समाज भी बनते जा रहे हैं। लोकतंत्र में असहमति की आवाज़ उठाना अधिकार है और उसे दबाना अपराध। पीड़िता को सम्मान, सुरक्षा और न्याय मिलना चाहिए - न कि बेबसी, भय और अन्याय।"

यह घटना महिलाओं की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था पर फिर से बड़े सवाल उठा रही है। पीड़िता ने कहा कि वे 9 साल से लड़ रही हैं और अब सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई जारी रखेंगी।