कहा जाता है कि अमेरिका से न दोस्ती भली, न दुश्मनी! पहले टैरिफ़ पर ट्रंप का बयान आता रहा। फिर भारत पाकिस्तान युद्धविराम को लेकर बार-बार दावे किए गए। और अब अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा है कि भारत का ज़्यादातर सैन्य सामान रूस से ख़रीदना और ब्रिक्स का हिस्सा बनकर डॉलर को चुनौती देना अमेरिका को खटक गया। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अब सब ठीक है और भारत व अमेरिका के बीच व्यापार समझौते के जल्द ही अंतिम रूप लेने की उम्मीद है। आख़िर यह सब कैसे हो रहा है? क्या भारत का हित प्रभावित हो रहा है या फिर लुटनिक का बयान भारत पर दबाव बनाने की कोशिश है?