अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन पाँच अगस्त को है। बाबरी ढाँचा विश्वंस पर भी जल्द ही फ़ैसला आने वाला है। पूरे मामले में सवाल कई हैं। एक सवाल तो यही है कि राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े जो राजनेता हैं, वो आज कहाँ हैं? इन सब सवालों पर वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी ने विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार से ख़ास बातचीत की।
आलोक कुमार- मंदिर बना, मंदिर टूटा, मंदिर दोबारा बना, मंदिर फिर टूटा, संघर्ष हुए, बलिदान हुए, आंदोलन हुए, यह एक लंबी गाथा है जो हमें संतोष देती है। इस सबके बाद सुप्रीम कोर्ट के पाँच जजों ने कहा कि यह स्थान रामलला का है और कहा कि एक ट्रस्ट बनाओ, जो मंदिर बनाएगा, ट्रस्ट बना और मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ। अब सारा देश एक आनंद के साथ मंदिर बनाने की दिशा में बढ़ रहा है। इसलिए यह वर्तमान मुझे अच्छा लग रहा है।
आलोक कुमार- स्वाभाविक है यह संतोष की बात है और सबने देश की न्याय व्यवस्था में विश्वास जाहिर किया। सुप्रीम कोर्ट ने इक्विटी बैंलेस करने के लिए मुसलमानों को मसजिद के लिए पाँच एकड़ ज़मीन देने की बात की। जिनको नहीं दी जा रही थी, उन्होंने कहा- हम नहीं लेंगे। लेकिन जिन को दी जा रही थी, उन्होंने पहली बैठक में ही ज़मीन लेना स्वीकार कर लिया तो इक्विटी बैंलेंस हो गई।
आलोक कुमार - प्रधानमंत्री रामभक्त हैं, वो इस लड़ाई के योद्धा भी रहे हैं। उनके चुनाव में इसका ज़िक्र किया गया है। इसलिए वह इस दृष्टि से और प्रधानमंत्री के तौर पर आ रहे हैं। देश को अभिव्यक्त कर रहे हैं। जब चाँदी की शिला वो रखेंगे तो देश की भावना को ज़ाहिर करेंगे।
आलोक कुमार- तो क्या फर्क पड़ता है, अब जा रहे हैं। मैं विश्व हिन्दू परिषद से हूँ तो आप पूछ सकते हैं कि मैं 70 साल में बद्रीनाथ क्यों नहीं गया और गया तो इस बुढ़ापे में क्यों गया? यह सब बेमायने हैं।
आलोक कुमार- बिलकुल अलग होने की बात नहीं है, क्योंकि उस मॉडल को लेकर हम देश के गाँव-गाँव तक गए हैं। 1989 में पौने तीन लाख गाँवों में हमने सवा 6 करोड़ लोगों से संपर्क किया, उनसे सौ-सौ रुपये लिये। हर हिन्दू के मन में छवि अंकित है, इसलिए उसमें बदलाव का सवाल ही नहीं है। उसमें कुछ जोड़ा गया है। पहले वो दो मंज़िला था, अब उसे तीन मंज़िला कर दिया गया है, मंडप की संख्या तीन से बढ़ाकर पाँच कर दी गई है। और उसको बदल नहीं सकते क्योंकि उसके लिए 60 फ़ीसदी खंभे तैयार कर लिए गए हैं तो उसमें बदलाव नहीं होगा, यह उसका विस्तार है। संभावना है कि मंदिर का निर्माण तीन साढ़े तीन साल में इतना हो जाएगा कि मंदिर के गर्भगृह में रामलला को विराजमान किया जा सकेगा और पूजा शुरू हो जाएगी।
आलोक कुमार- ख़र्च की समस्या नहीं है, हमारे पास ऐसे लोग भी आए जो पूरा ख़र्च उठाने को तैयार हैं। लेकिन यह मंदिर सब का है, इसलिए हमने तीर्थ ट्रस्ट को आग्रह किया कि हम सब से चंदा लेकर मंदिर बनाएँगे जब कोरोना के हालात ठीक होंगे तो हम चार लाख गाँवों में दस करोड़ हिंदू परिवारों से सहयोग लेंगे यानी क़रीब पचास करोड़ हिंदुओं को उसमें अपना योगदान महसूस होगा।
आलोक कुमार- कांग्रेस के एक बड़े नेता थे प्रधानमंत्री नरसिंह राव, उन्होंने अपनी किताब अयोध्या में एक पत्र छापा है कि उस वक़्त के प्रधानमंत्री ने तब मंदिर से मूर्तियाँ हटवाने का निर्देश दिया था लेकिन डीएम ने इंकार कर दिया। शिलान्यास के वक़्त कांग्रेस ने सहमति दी, वो एक समझौते के तहत हुआ। और उस वक़्त जनता का दवाब इतना था कि यदि कांग्रेस नहीं करती तो उसे ख़त्म होने में इतना वक़्त नहीं लगता। वो श्रेय लेना चाहें तो ले सकते हैं, लिया क्यों नहीं श्रेय? सच कहूँ हमारे लिए मंदिर निर्माण सबसे अहम है, हम श्रेय के चक्कर में नहीं पड़ते।
आलोक कुमार – क़ानून की अपनी मर्यादाएँ होती हैं और जन भावनाओं का एक अलग वेग होता है। इतने लंबे समय तक उस वेग को रोकना मुश्किल होता है। वो वेग इतना बड़ा था कि ढाँचा गिर गया। मैं सुप्रीम कोर्ट के इंटरप्रिटेशन से अपने को सहमत नहीं पाता। मैं यह मानता हूँ कि वो ढाँचा अपमान का प्रतीक था।
आलोक कुमार- शिवसेना का इतना पतन होगा, यह किसने सोचा था। भूमि पूजन का मतलब होता है कि भूमि से आशीर्वाद लेना और क्षमा याचना करना कि मैं निर्माण के लिए ख़ुदाई कर रहा हूँ तो यह काम प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग से करते तो अंहकार माना जाएगा। दसियों लाख लोग जाने वाले थे, हम डेढ़ सौ लोग जा रहे हैं तो इसमें कौन सा ख़तरा है। मुझे उनके बयान पर शर्म आ रही है।
आलोक कुमार – शिलान्यास नहीं हो रहा, अब तो सिर्फ़ निर्माण कार्य शुरू करने के लिए भूमि पूजन हो रहा है। शिलान्यास वो ही था और हमें उस पर गर्व हैं।
प्रश्न- बाबरी मसजिद ध्वंस मामले की सुनवाई चल रही है। 31 अगस्त तक फ़ैसला आएगा। परिषद् ने इस मामले को राजनीतिक माना था तो फिर पिछले 6 साल में बीजेपी ने इन मामलों को वापस क्यों नहीं लिया?
आलोक कुमार- हम न्यायालय का सम्मान करते हैं इसलिए हमने उन्हें वापस नहीं लिया और अब हम फ़ैसले का इंतज़ार कर रहे हैं। यह हम जानते हैं कि उस मामले में कोई शामिल नहीं है, दोषी नहीं है।
आलोक कुमार – योगी आदित्यनाथ पर बहुत सामान्य क़िस्म के मामले राजनीतिक दुर्भावना से लगाए गए थे। मुक़दमा किस विषय वस्तु पर है, यह निर्भर करता है। हम सब आश्वस्त थे कि कोई दोषी नहीं है तो हमने तय किया कि हमारे नेता ट्रायल का सामना करें और निर्दोष साबित हों।
आलोक कुमार – मुझे इस पूरे मामले की पूरी जानकारी नहीं है, इस पर कुछ नहीं कह सकता।
आलोक कुमार- क़ानून की व्याख्या है कि जब तक किसी पर आरोप साबित नहीं हो जाते उसे दोषी नहीं माना जाता तो सिर्फ़ आरोपों के आधार पर किसी को सार्वजनिक जीवन से दूर नहीं रखा जा सकता। हमने किसी दोषी व्यक्ति को नहीं रखा है।
आलोक कुमार- यह विषय एक बार उठा था। स्वामी सत्यमित्रानंद ने एक बार बैठक में मुसलिमों को कहा था कि यह स्थान आप हमें दे दो और आप जहाँ मसजिद बनाएँगे तो मदद करेंगे लेकिन तब शहाबुद्दीन और दूसरे लोगों ने इसका विरोध किया था। यह मामला अभी नहीं है। अभी उन्होंने निर्माण शुरू नहीं किया है जब होगा तब देखेंगे।