अयोध्या में 6 दिसंबर को होने वाला विश्व हिंदू परिषद का कार्यक्रम पूरी तरह से टाँय-टाँय फिस्स होने वाला है। राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर जिस तरह की बयानबाज़ी संघ परिवार की तरफ़ से पिछले दिनों की गई थी, उससे यह उम्मीद की जा रही थी कि अयोध्या में कारसेवा के लिए लाखों लोग जुटेंगे। पर ऐसा होने की संभावना अब नहीं है। उन लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है जो ये तय मान चुके थे कि 1992 के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में रामभक्त अयोध्या में जुटेंगे।
मुद्दा गरमाने की कोशिश
पिछले दिनों आरएसएस और इससे जुड़े संगठनों ने राम मंदिर मुद्दे को गरमाने की पूरी कोशिश की। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि हिंदू अब ज़्यादा इंतज़ार नहीं कर सकता। जल्द-से-जल्द मंदिर निर्माण कार्य शुरू हो। संघ परिवार से जुड़े साधु-संतों ने 25 नवम्बर को राम मंदिर के मुद्दे पर धर्म संसद आयोजित की। इस सभा में 500 से ज़्यादा ज़िलों में राम मंदिर निर्माण के लिए सभाएँ करने का फ़ैसला किया गया। इन सभाओं में लोग नहीं जुड़े। अकेले दिल्ली में विहिप का दावा था कि उसके रोड शो में लाखों लोग जुड़ेंगे पर कुछ सौ से ज़्यादा दिखाई नहीं दिए।![VHP programme destined to flop - Satya Hindi VHP programme destined to flop - Satya Hindi](https://satya-hindi.sgp1.digitaloceanspaces.com/app/uploads/06-12-18/5c0829ac23fb8.jpg)
तेवर ढीले
विहिप की असफलता ने संघ परिवार के तेवर ढीले कर दिए हैं। लिहाज़ा इस साल 'विवादित ढांचा' विंध्वंस की बरसी पर अयोध्या में कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं करने का फ़ैसला किया गया है। अब अयोध्या में शक्ति प्रदर्शन की जगह सांकेतिक कारसेवा का आयोजन होगा। राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य व राम मंदिर आंदोलन के फायरब्रांड संत डॉ. रामविलास वेदांती के स्वर भी बदले हुए हैं। अब वे केंद्र सरकार पर राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने का ज़ोर नहीं दे रहे हैं। वे कहते है कि बिना अध्यादेश व क़ानून बनाए मंदिर-मस्जिद केस का हल आपसी बातचीत से निकल आएगा। आपसी समझौते से इसको हल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुस्लिम धर्मगुरुओं से वार्ता व सहमति का फ़ॉर्मूला तय हो रहा है। जल्द ही इसका खुलासा भी होने वाला है।फ़ॉर्मूले की कोशिश
वेदांती ने कहा कि इस कार्य में आरएसएस व बीजेपी के बड़े नेताओं के कहने पर आपसी सहमति का फ़ॉर्मूला तैयार करने की कोशिश की जा रही है। इस कारण कई महानगरों का दौरा भी किया जा रहा है। उनका कहना है कि 2019 के पहले राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। वेदांती ने बिना लाग-लपेट के कहा कि धर्मसभाओं के आयोजन का मक़सद ही राम मंदिर का निर्माण करवाना है।वेदांती का कहना है कि जिस फ़ॉर्मूले पर सहमति बनाई जा रही है, उसमें विवादित स्थल पर भव्य मंदिर का निर्माण व लखनऊ व अन्य स्थानों पर अल्लाह या अमन के नाम पर भव्य मस्जिद का निर्माण करवाया जाए। देश-विदेश के मुस्लिम धर्मगुरु भी इसका शांतिपूर्ण हल चाहते हैं।
वेदांती ने कहा कि मंदिर का निर्माण शांतिपूर्ण माहौल में और आपसी सहमति से ही होगा।
अध्यादेश पर ज़ोर नहीं
विहिप के संगठन मंत्री राजेन्द्र सिंह पंकज का भी कहना है कि अध्यादेश लाने से यह मामला फिर अदालत में फँस सकता है इसलिए सरकार से माँग की जा रही है कि वह अपने स्तर पर मामले का हल निकालने का प्रयास करे ताकि भव्य राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ़ हो। विहिप इस बार अयोध्या में भीड़ इकट्ठा कर सरकार और अदालत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही थी ताकि राम मंदिर पर पूरे देश भर में गहन चर्चा हो लेकिन संघ परिवार 1990-92 जैसा उग्र आंदोलन नहीं खड़ा करना चाहता। विहिप के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा का कहना है कि अब दिल्ली मे होने वाली सभाओं पर पूरी ताक़त लगाई जा रही है। 9 दिसम्बर को दिल्ली मे होने जा रही धर्मसभा में पश्चिमी उत्तर प्रदेश व दिल्ली के संगठन को ज़िम्मेदारी दी गई है। इस मुतल्लिक़ दिल्ली में प्रचार व जनसम्पर्क किया गया था। दिल्ली का तरह पश्चिम यूपी के कुछ ज़िलों में हवा बनाने का प्रयास किया जा रहा है पर लोग नहीं जुट रहे हैं। 5 लाख रामभक्तों को दिल्ली की धर्मसभा मे जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। अयोध्या से प्रमुख संत व पदाधिकारी ही दिल्ली की सभा में शिरकत करेंगे।![VHP programme destined to flop - Satya Hindi VHP programme destined to flop - Satya Hindi](https://satya-hindi.sgp1.digitaloceanspaces.com/app/uploads/06-12-18/5c082f323b9a7.jpg)
शर्मा के मुताबिक़ अयोध्या मे 6 दिसम्बर को परम्परागत कार्यक्रम के तहत कभी भी भारी भीड़ नही जुटाई गई। इस साल भी सामान्य तरीक़े से कार्यक्रम स्थानीय स्तर पर ही होगा।
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