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खारकीव में रूसी हमले का शिकार हुए नवीन शेखरप्पा

नवीन के पार्थिव शरीर का इंतजार, केंद्रीय मंत्री के बयान पर परिवार आहत

यूक्रेन में मारे गए छात्र नवीन शेखरप्पा ज्ञानगौदर के परिवार को अब अपने बेटे के पार्थिव शरीर का इंतजार है। हालांकि भारत सरकार ने कहा है कि नवीन के शव को लाने में अभी दो-तीन दिन लगेंगे, लेकिन जैसे ही कोई फ्लाइट यूक्रेन बॉर्डर से भारतीय छात्रों को लेकर आती है तो उनकी उम्मीद बढ़ जाती है कि शायद उनके बेटे का शव आज ही आ जाए। नवीन खारकीव में उस वक्त मिसाइल हमले की चपेट में आए, जब वो खाने-पीने का सामान खरीदने लाइन में लगे हुए थे। नवीन बहुत आसानी से लौट सकते थे लेकिन उन्होंने सोचा कि पहले उनके जूनियर साथी चले जाएं तो वो बाद में चले जाएंगे लेकिन वह मौका कभी नहीं आया। उसके जूनियर साथी तो आ गए लेकिन नवीन यूक्रेन में चिर निद्रा में सो गया। 

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नवीन के दोस्त श्रीकांत ने खारकीव से मीडिया को बताया कि वो और नवीन न सिर्फ सहपाठी थे, बल्कि रूममेट भी थे। दोनों वहां एक बंकर में रह रहे थे। श्रीकांत ने बताया कि यहां सुबह छह बजे तक कर्फ्यू था। सुबह छह बजे के बाद नवीन कुछ सामान खरीदने के लिए बाहर गया। उस समय बाकी लोग सो रहे थे। वो दुकान हमारे बंकर से सिर्फ 50 मीटर की दूरी पर थी। नवीन जब देर तक नहीं लौटा तो हमने लोकल संपर्कों को फोन करना शुरू किया। तभी किसी ने फोन उठाया जो रूसी में बोल रहा था, मैंने अपना मोबाइल अपने साथी को उसकी बात समझने के लिए दे दिया। उसने बात की और उसने मुझे बताया कि नवीन के साथ क्या हुआ था। श्रीकांत ने कहा - 

मुझे नहीं पता कि बाहर क्या हो रहा है क्योंकि थोड़ा रुक-रुक कर गोलाबारी हो रही है। कुछ लोकल लोग बहुत अच्छे हैं। हमारी मदद कर रहे हैं।


- श्रीकांत, नवीन का दोस्त, भारतीय मीडिया से

यहां कोई नहीं आया श्रीकांत ने कहा कि भारतीय दूतावास भी कुछ बात नहीं करता। वो हमसे कहते हैं कि यूक्रेन के पश्चिमी बॉर्डर में जाने की कोशिश करो, लेकिन कोई ट्रांसपोर्ट ही नहीं है, तो कैसे जाएंगे। श्रीकांत ने कहा, हमें एम्बेसी ने भरोसा दिया था कि हमें निकाला जाएगा। लेकिन मुझे नहीं पता कि ऐसा कब होगा। दूतावास हमें बस घरों के अंदर रुकने को कह रहा है। पीएम ने बात की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवीन के परिवार से बात की और शोक जताया। कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने भी शोक जताया।

मंत्री के बयान पर परिवार आहत केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी की टिप्पणी पर नवीन के दुखी पिता ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। 21 साल के नवीन के पिता शेखरप्पा ज्ञानगौदर ने कहा कि वो एक बुद्धिमान छात्र था, जो भारत में मेडिकल की पढ़ाई नहीं कर सकता था। इसलिए यूक्रेन चला गया। नवीन की मां विद्यालक्ष्मी ने कहा - किसी भी प्रतिभाशाली बच्चे को गरीब परिवार में पैदा नहीं होना चाहिए। हमारे देश में प्रतिभा का कोई मूल्य नहीं है ... प्रतिभा का कोई मूल्य नहीं है। यह कहकर वो रो पड़ीं।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने यूक्रेन में पढ़ रहे भारतीय छात्रों पर विवादित बयान दिया था। जोशी ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा था, विदेश में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले नब्बे फीसदी भारतीय भारत में एंट्रेंस परीक्षा पास करने में नाकाम रहते हैं। विदेश में मेडिकल डिग्री पूरी करने वालों को भारत में प्रैक्टिस करने के लिए फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट परीक्षा पास करनी होती है।

केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी सोशल मीडिया पर बहस में बदल गई। कई लोगों ने तर्क दिया कि भारत में सभी योग्य उम्मीदवारों को खपाने के लिए मेडिकल सीटें पूरी नहीं हैं। यहां पर मेडिकल की पढ़ाई में जो भ्रष्टाचार है और जिस तरह से इसे माफिया संचालित करते हैं, उसे कौन नहीं जानता। तमाम मंत्रियों, नेताओं के मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं, इसे कौन झुठला सकता है।
नवीन के पिता भी नाराज
मंत्री की टिप्पणी पर नवीन के पिता ने कहा: यहां मेडिकल की पढ़ाई करने वालों को दान बहुत अधिक मिलता है। बुद्धिमान छात्र अध्ययन के लिए विदेश जाते हैं और भारत की तुलना में कम राशि खर्च करते हैं। यहां, एक छात्र को करोड़ों रुपये देने के बाद मेडिकल सीट मिलती है। नवीन के पिता ने बताया कि नवीन ने अपनी स्कूली परीक्षा में 97 फीसदी मार्क्स हासिल किये थे। नवीन के एक रिश्तेदार सिद्दप्पा ने कहा कि चूंकि परिवार में आर्थिक तंगी थी, इसलिए परिवार के सामने यूक्रेन अधिक व्यावहारिक विकल्प था।

परिवार भारत में कोटे वाली सीट नहीं खरीदना चाहता था। परिवार के सभी सदस्यों ने नवीन को यूक्रेन भेजने के लिए पैसे जमा किए ताकि वह डॉक्टर बनने के अपने सपने को पूरा कर सके।

नवीन की मां विजयलक्ष्मी ने कहा कि कॉलेजों ने करोड़ों रुपये मांगे थे। ... हमारे पास करोड़ों रुपए नहीं हैं। यूक्रेन में, इस पढ़ाई की लागत लगभग ₹ 50-60 लाख है। उसके पास प्रतिभा थी, इसलिए उसे यूक्रेन भेजा गया था। नहीं तो, हम उसे वहां क्यों भेजते? हम उसे वापस यहीं रहने और मवेशियों या खेती का काम करने के लिए कह सकते थे? नवीन के चचेरे भाई सिद्दप्पा ने कहा, चूंकि यहां प्रबंधन कोटे के तहत मेडिकल सीट बहुत महंगी है, इसलिए उन्होंने बहुत कम पैसे में यूक्रेन में एमबीबीएस करना चुना। हम सभी ने उन्हें यूक्रेन भेजने के लिए पैसे मिलाए और भेजा। लेकिन वो सपना कल अचानक टूट गया जब खार्किव में नवीन की हमले में मौत हो गई।

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क़मर वहीद नक़वी
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