भ्रष्टाचार को मुद्दा बना कर और उसके ख़िलाफ़ चले आंदोलन की पीठ पर सवार होकर केंद्र की सत्ता हासिल करने वाले नरेंद्र मोदी ने साढ़े चार साल की चुप्पी के बाद आख़िरकार लोकपाल नियुक्त कर तो दिया, पर इससे जितने सवालों के उत्तर मिल रहे हैं, उससे ज़्यादा सवाल खड़े हो रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि क्या इससे वाकई भ्रष्टाचार ख़त्म करने में मदद मिलेगी? लेकिन मौलिक सवाल तो यह है कि लोकपाल आख़िर क्या कर लेगा?