एयर इंडिया की उड़ान AI171 के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद इसमें एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। ब्रिटेन में दो परिवारों को उनके प्रियजनों के शवों के बजाय गलत शव भेजे गए। ऐसा तब हुआ जब अधिकारियों ने लगातार कई दिनों तक डीएनए की जाँच कर मृतकों के शवों को उनके परिजनों सौंपा। तो सवाल है कि आख़िर डीएनए की जाँच कैसे ग़लत साबित होती हुई दिख रही है? परिजनों ने किस आधार पर ग़लत शव भेजे जाने का आरोप लगाया?

12 जून 2025 को अहमदाबाद के सरदार पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के गैटविक हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरने वाली एयर इंडिया की उड़ान AI171 टेकऑफ के कुछ सेकंड बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस हादसे में एक यात्री को छोड़कर सभी मारे गए थे। इनमें 53 ब्रिटिश नागरिक शामिल थे। विमान बीजे मेडिकल कॉलेज के एक छात्रावास पर जा गिरा। इससे जमीन पर भी कई लोग मारे गए। दुर्घटना के बाद शवों की पहचान और उनके परिजनों को सौंपने की प्रक्रिया शुरू की गई। लेकिन अब यह खुलासा हुआ है कि ब्रिटेन भेजे गए कुछ शवों की गलत पहचान की गई, जिससे परिवारों को और अधिक मानसिक आघात पहुँचा है।
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ग़लत शव भेजे जाने का पता कैसे चला?

ब्रिटिश मीडिया और पीड़ित परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील जेम्स हीली-प्रैट के अनुसार दो परिवारों को उनके प्रियजनों के शवों के बजाय गलत शव भेजे गए। डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार वकील ने कहा, 'एक मामले में एक परिवार ने अंतिम संस्कार की तैयारियाँ पूरी कर ली थीं, लेकिन जब लंदन की इनर वेस्ट कोरोनर डॉ. फियोना विलकॉक्स ने डीएनए सत्यापन किया तो पता चला कि ताबूत में उनके परिवार के सदस्य का शव नहीं, बल्कि एक अज्ञात यात्री का शव था। इस खुलासे के बाद परिवार को अंतिम संस्कार रद्द करना पड़ा।

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार दूसरे मामले में एक ताबूत में कई पीड़ितों के अवशेष 'मिश्रित' पाए गए। इन अवशेषों को अलग करने की प्रक्रिया के बाद ही अंतिम संस्कार हो सका। ये ग़लतियाँ तब सामने आईं जब डॉ. विलकॉक्स ने ब्रिटेन भेजे गए शवों की डीएनए जांच की। हीली-प्रैट ने डेली मेल को बताया, 'एक परिवार दफनाने नहीं गया क्योंकि उनके ताबूत में गलत शव था। अगर यह उनका रिश्तेदार नहीं है तो सवाल यह है कि ताबूत में किसका शव है? संभवतः यह किसी अन्य यात्री का है और उनके परिजनों को भी गलत शव मिला होगा।'

डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार कई ब्रिटिश नागरिकों का अंतिम संस्कार भारत में किया गया, जबकि 12 यात्रियों के पार्थिव शरीर ब्रिटेन भेजे गए। अहमदाबाद सिविल अस्पताल में डीएनए परीक्षण के बाद शव परिवारों को सौंपे गए थे।

ज़्यादातर शव इतने जले हुए थे कि उनकी पहचान मुश्किल थी। इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि सरकारी अस्पताल ने शवों को सीलबंद ताबूतों में उनके परिजनों को सौंपा और एयर इंडिया की इसमें केवल शवों को ले जाने और शोक संतप्त परिवारों की सहायता करने के अलावा कोई भूमिका नहीं थी। रिपोर्ट में एक सूत्र के हवाले से कहा गया, 'अहमदाबाद अस्पताल ने डीएनए नमूने के लिए रिश्तेदारों को बुलाया और उन्हें सीलबंद ताबूत सौंप दिए, जबकि एयर इंडिया द्वारा नियुक्त एजेंसी केन्यन्स इंटरनेशनल इमरजेंसी सर्विसेज ने इस प्रक्रिया में शोक संतप्त परिजनों की सहायता की।'

कई ब्रिटिश परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील जेम्स हीली-प्रैट ने डेली मेल को बताया, 'हालाँकि कुछ पीड़ितों का उनके धार्मिक विश्वासों के अनुसार भारत में या तो शीघ्रता से अंतिम संस्कार कर दिया गया या उन्हें दफना दिया गया, लेकिन कम से कम 12 के अवशेष स्वदेश भेज दिए गए हैं।'
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हीली-प्रैट ने कहा है कि वह अभी शवों की गलत पहचान की प्रक्रिया की जांच कर रहे हैं। वकील ने मेल अखबार को बताया, 'पिछले एक महीने से मैं इन प्यारे ब्रिटिश परिवारों के घरों में जा रहा हूं, और उनकी पहली इच्छा है कि उनके प्रियजनों के शव उन्हें वापस मिलें। लेकिन कुछ परिवारों को गलत अवशेष मिले हैं, और वे इस बात से बहुत दुखी हैं। यह समस्या पिछले कुछ हफ्तों से चल रही है, और मुझे लगता है कि इन परिवारों को इसका जवाब मिलना चाहिए।' 

एमईए का क्या जवाब?

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'हमने इस रिपोर्ट को देखा है और इन चिंताओं के सामने आने के बाद से ही ब्रिटिश पक्ष के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। दुर्घटना के बाद संबंधित अधिकारियों ने स्थापित प्रोटोकॉल और तकनीकी आवश्यकताओं के अनुसार पीड़ितों की पहचान की थी। सभी शवों को अत्यंत पेशेवर तरीके से और मृतकों की गरिमा का सम्मान करते हुए संभाला गया। हम इस मुद्दे से संबंधित किसी भी चिंता को दूर करने के लिए ब्रिटिश अधिकारियों के साथ काम करना जारी रखेंगे।'

एमईए की प्रतिक्रिया

गंभीर लापरवाही का आरोप

हालांकि, ब्रिटिश परिवारों और उनके वकीलों का कहना है कि इस प्रक्रिया में गंभीर लापरवाही बरती गई। हीली-प्रैट ने कहा, 'यह एक भयावह गलती है, और परिवारों को इसका जवाब मिलना चाहिए।' कुछ परिवारों ने यह भी आरोप लगाया कि शवों की पहचान के दौरान पारदर्शिता की कमी थी। अहमदाबाद के एक पीड़ित परिवार के सदस्य अल्ताफ ताजु ने डेली मेल को बताया, 'हमें शव देखने की अनुमति नहीं थी। हमें बस एक कागज का लेबल दिया गया, जिस पर एक आईडी नंबर था। हमें उनकी बात माननी पड़ी। यह भयानक है कि ऐसा हो सकता है।'

पहचान प्रक्रिया की चुनौतियाँ

दुर्घटना की भयावहता ने शवों की पहचान को बेहद जटिल बना दिया था। विमान में लगी आग के कारण तापमान 1500 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जिससे अधिकांश शव बुरी तरह जल गए या पहचानने योग्य नहीं रहे। कई शव खंडित हो गए थे और कुछ मामलों में डीएनए जांच के आधार पर पहचान की गई। अहमदाबाद के सिविल अस्पताल से कई परिवारों को ताबूतों के बजाय प्लास्टिक कंटेनरों में अवशेष सौंपे गए। गुजरात के लगभग 40 अधिकारियों में डायरेक्टरेट ऑफ फॉरेंसिक साइंस यानी डीएफएस और नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी यानी एनएफएसयू की टीमें शामिल थीं। इन अधिकारियों ने डीएनए नमूनों के मिलान के लिए काम किया।
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परिवारों का दर्द

इस गलती ने पहले से ही शोक में डूबे परिवारों के घावों को और गहरा कर दिया है। कई परिवारों ने न केवल अपने प्रियजनों को खोया, बल्कि अब उन्हें इस अनिश्चितता और अपमान का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्टों के अनुसार एक परिवार के सदस्य ने कहा, 'हम अपने प्रियजनों को अंतिम विदाई देना चाहते थे, लेकिन अब हमें नहीं पता कि ताबूत में कौन है। यह असहनीय है।'

एयर इंडिया की उड़ान AI171 की दुर्घटना पहले ही एक भयावह त्रासदी थी, लेकिन गलत शवों का भेजा जाना इस दुख को और बढ़ाने वाला है। यह मामला न केवल पहचान प्रक्रिया में लापरवाही की ओर इशारा करता है, बल्कि आपदा प्रबंधन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की कमियों को भी उजागर करता है।