पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह दरअसल चीनी कंपनियों को भारतीय कंपनियों के अधिग्रहण करने से रोकने के लिए किया गया है।
कुछ दिन पहले ही पीपल्स बैंक ऑफ चाइना ने एचडीएफसी की एक प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी। इसके अलावा एक चीनी बैंक ने यस बैंक में भी निवेश करने में दिलचस्पी दिखाई थी।