नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ चल रहे आन्दोलन ने पंजाब की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाला है। वहाँ बड़े उद्योगपति ही नहीं छोटे और मझोले व्यापारी तक इसकी चपेट में आ गए हैं। इतना ही नहीं, छोटे कर्मचारी और दिहाड़ी मजदूर भी इससे अछूते नहीं बचे हैं। इससे प्रभावित लोगों का मानना है कि इस क़ानून की फ़िलहाल कोई ज़रूरत ही नहीं है और यह बेमतलब का बैठे-बिठाए मुसीबत मोल लेने जैसा है।  


ताज़ा हालात ने पंजाब के देशभर में फैले उद्योग-धंधों को सिरे से तबाह कर दिया है। व्यापारियों को आमतौर पर बीजेपी समर्थक माना जाता है, लेकिन आज वे इस पार्टी को और केंद्र सरकार को जी भर कर कोस रहे हैं। बेशक इनमें से कई मुखर नहीं है, लेकिन भीतर ही भीतर केंद्र की नीतियों और हालिया फ़ैसलों का विरोध कर रहे हैं।