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भारतीयों के स्विस खातों की जानकारी नहीं देगी सरकार

वित्त मंत्रालय ने स्विस बैंक से मिले भारतीयों के बैंक खातों की जानकारी देने से साफ़ इनकार कर दिया है। उसका कहना है कि यह स्विटज़रलैंड और भारत के बीच हुए क़रार की गोपनीयता का उल्लंघन होगा और ऐसा नहीं किया जा सकता है। 

आरटीआई सवाल के जवाब में वित्त मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। सरकार ने दूसरे देशों से आए काले धन के बारे में भी जानकारी देने से इनकार कर दिया है। 

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एक पत्रकार की आरटीआई अर्ज़ी पर सरकार ने यह जवाब दिए हैं। सरकार ने कहा है : 

कर समझौतों के तहत सूचनाओं का आदान-प्रदान गोपनीयता की शर्तों से जुड़ा होता है। इस तरह की जानकारियाँ आरटीआई के प्रावधानों के तहत नहीं दी जा सकती हैं।


वित्त मंत्रालय का जवाब

ऑटोमैटिक सूचना आदान-प्रदान समझौते के तहत स्विस बैंक में भारतीयों के खाते से जुड़ी जानकारियाँ सितंबर में भारत को मिली थीं। 

स्विटज़रलैंड के फ़ेडरल टैक्स प्रशासन ने 75 देशों के साथ सूचनाओं के आदान प्रदान का क़रार किया है।
समझा जाता है कि  काले धन को रोकने के लिए हुए क़रार के बाद कई भारतीयों ने स्विस बैंक में अपने खाते बंद करवा लिए।
नैशनल कौंसिल ऑफ़ एप्लाइड इकनॉमिक रीसर्च (एनसीएईआर) ने अनुमान लगाया है कि 1980 से 2010 के बीच भारतीयों का विदेशों में काला धन 384 अरब डॉलर से 490 अरब डॉलर रहा है।
उस समय की एनडीआर सरकार ने 2011 में काले धन का पता लगाने का काम एनसीएईआर को सौंपा था। एक दूसरी संस्था नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ़ फ़ाइनेंशियल मैनजेमेंट (एनआईए़एम) ने अनुमान लगाया है कि 1990 से 2008 के बीच 216.48 अरब डॉलर यानी 9,41,837 करोड़ रुपए को ग़ैरक़ानूनी तरीके से देश के बाहर भेजा गया था।
 नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ़ पब्लिक पॉलिसी एंड फ़ाइनेंस (एनआईपीएफ़पी) ने अनुमान लगाया कि 1997-2009 के बीच जीडीपी का 0.2 प्रतिशत से 7.4 प्रतिशत हिस्सा बाहर भेजा गया। 

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क़मर वहीद नक़वी
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