याद कीजिए यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) सरकार के समय में महज 2 लाख करोड़ रुपये (या उससे भी कम) कारोबारियों के माफ किये गये थे और वो सबसे भ्रष्ट सरकार कहलाई। लेकिन मोदी राज में 10 वर्षों में तो 16.11 लाख करोड़ रुपये कारोबारियों के माफ कर दिये गये। यूपीए सरकार में माफ किये गये दो लाख करोड़ इसका महज 8वां हिस्सा है। मीडिया तमाम ऐसे कारोबारियों की सफलता की कहानियां गढ़ रहा है, जबकि इनमें से तमाम बैंकों का पैसा डकार कर कथित सफल कारोबारी बने हैं
16.11 लाख करोड़ के लाभार्थियों में कर्ज में डूबे किसान नहीं, बल्कि बड़ी पूंजी वाले जनता का पैसा डकारने वाले धोखेबाज लोग हैं। इनमें कई पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं।
जवाहर सरकार लिखते हैं कि इस खोए हुए पैसे की भरपाई के लिए, बैंक हर छोटी 'सेवा' के लिए अधिक से अधिक उपयोगकर्ता शुल्क (यूजर चार्जेज) लेते हैं। अक्सर वो जनता को अस्पष्ट सूचनाओं के जरिये बताते हैं और बहुत सूचनाएं तो गुप्त ही रहती हैं। जनता को मिले हुए लोन की दरें चुपचाप बढ़ जाती हैं। क्योंकि बैंक धोखाधड़ी और धन की हेराफेरी की भरपाई जनता से करना चाहते हैं।