शिरोमणि अकाली दल के नेता नरेश गुजराल ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि देश की आर्थिक स्थिति को बेहद चौंकाने वाली (अलार्मिंग) है। उन्होंने कहा, ‘सरकार में शामिल सभी दल बहुत ही दुखी हैं। कुछ तो छोड़ कर जा चुके हैं और कुछ दूसरे इंतज़ार कर रहे हैं। हम किसी पद की माँग नहीं कर रहे हैं, पर हमसे राय-मशविरा तो करनी ही चाहिए।’
सरकार को अर्थशास्त्रियों और पूर्व आरबीआई गवर्नरों की चेतावनियों का मखौल नहीं उड़ाना चाहिए, इसे लोगों से बात करनी चाहिए। सरकार को अर्थशास्त्रियों और राजनीतिक दलों के लोगों की बैठक होनी चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह जैसे लोगों को बुलाए और उनसे बात करे, यह मामला टकराव का नहीं, राय-मशविरे का है।
एक नेता ने कहा, ‘जब एनएससओ ने बेरोज़गारी और ग्रामीण खपत पर रिपोर्ट दी तो हमारे लोगों ने ऑटो बिक्री, ओला-उबर सेवा, भीड़ भरे हवाई अड्डे और सिनेमा के आँकड़े देकर उसका जवाब दिया। वित्त मंत्री ने मंदी तो नहीं, लेकिन आर्थिक सुस्ती की बात मान ली है, इससे ही साफ़ है कि सरकार अंत में स्थिति को स्वीकार कर रही है।’