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रुपया कमजोर नहीं है, डॉलर मज़बूत हुआ: निर्मला सीतारमण

रुपया लगातार कमजोर होता जा रहा है और इसके लिए सरकार पर सवाल भी लगातार उठ रहे हैं। ऐसे ही एक सवाल पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा है कि रुपये ने अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है। इसी दौरान उन्होंने तर्क दिया कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा है, बल्कि डॉलर मज़बूत हुआ है।

अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान एक प्रेस वार्ता में मीडिया कर्मियों के एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा, 'मैं इसे डॉलर के लगातार मज़बूत होने के रूप में देखती हूँ न कि रुपये में गिरावट के रूप में।'

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निर्मला सीतारमण की यह टिप्पणी तब आई है जब कुछ दिन पहले ही रुपया डॉलर के मुक़ाबले 82.69 के सर्वकालिक निचले स्तर तक गिर गया था।

निर्मला ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है कि बहुत अधिक अस्थिरता न हो, और भारतीय मुद्रा के मूल्य को ठीक करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप नहीं कर रहा था।

लेकिन वित्त मंत्री का यह बयान विरोधियों और सोशल मीडिया यूज़रों को पसंद नहीं आया और उनके बयान पर तंज कसे। उन्होंने निर्मला सीतारमण द्वारा रखे गए तर्क पर आपत्ति जताई। एक यूज़र ने लिखा है कि 'निर्मला जी का दिव्य ज्ञान सुनिए...'।

आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने निर्मला के जवाब पर तंज कसते हुए ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की स्थिति के एक ग्राफिक को ट्वीट करते हुए लिखा है, 'हमारे देश में भुखमरी नहीं बढ़ी, व्रत रखने वालों की संख्या बढ़ गई।'

रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने निर्मला सीतारमण के पहले के बयानों को याद दिलाया है। उन्होंने लिखा है, 'प्याज महँगा है तो खाना बंद कर दीजिए, नौकरी नहीं है तो लोन ले लीजिए, रुपया कमजोर नहीं हो रहा है डॉलर मज़बूत हो रहा है। ऐसे बयान देने से पहले भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण जी अपनी पार्टी द्वारा 2014 के पहले दिए बयान जरूर सुनें।'
वैसे, एक यूज़र ने यूपीए सरकार के कार्यकाल में डॉलर के मुक़ाबले 62 रुपया पहुँचने पर निर्मला सीतारमण के एक बयान को उनके आज के बयान के साथ ट्वीट किया है। 

बता दें कि नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान यूपीए सरकार के दौरान डॉलर के मुक़ाबले रुपये के गिरने पर हमला किया था। 2013 में मोदी ने कहा था कि डॉलर के मुक़ाबले रुपये की सेहत तेजी से गिर रही है और कोई दिशा तय करने वाला नहीं है। उन्होंने कहा था कि रुपये का स्तर एक बार 60 तक पहुँच गया और सरकार कोई क़दम नहीं उठा रही है। उन्होंने तो तब चुटकी लेते हुए कहा था कि 'यूपीए और रुपये में नीचे गिरने की होड़ लगी है'।

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क़मर वहीद नक़वी
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