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रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी, 5.90% हुआ

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने एक बार फिर रेपो रेट बढ़ा दिया है। आरबीआई ने शुक्रवार को रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की है। अब रेपो रेट बढ़कर 5.90% हो गया है। इसका एलान आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने किया। अगस्त में आरबीआई ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की थी और तब यह बढ़कर 5.40% हो गया था। इससे पहले जून में भी आरबीआई ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की थी। 

इस साल मई से पहले आरबीआई ने लंबे वक्त तक रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया था। लेकिन मई में रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की गई थी।

इस तरह आरबीआई ने बीते कुछ महीनों में लगातार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है। रेपो रेट के बढ़ने से घर की ईएमआई यानी होम लोन, गाड़ियों के लिए लिए गए लोन और पर्सनल लोन भी महंगे हो जाएंगे।

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बता दें कि आरबीआई जिस रेट पर दूसरे बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहा जाता है। रेपो रेट कम होने का मतलब होता है कि बैंक से मिलने वाले सभी तरह के लोन सस्ते हो जाते हैं जबकि रेपो रेट ज्यादा होने का मतलब है कि लोन चुकाने के लिए आपको ज्यादा पैसे देने पड़ेंगे।
रेपो रेट बढ़ने का असर ईएमआई यानी मासिक किस्तों पर भी होगा और इससे उद्योग व अर्थव्यवस्था भी थोड़ा बहुत प्रभावित होती है। रेपो रेट बढ़ने का सीधा असर आम आदमी की जेब पर होगा।

बीते कुछ वक्त से यह माना जा रहा था कि कोरोना पर काबू पाए जाने के बाद अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ी है लेकिन महंगाई ने इस उम्मीद पर पानी फेर दिया है।

भयावह आर्थिक मंदी की चेतावनी

मशहूर अर्थशास्त्री नूरील रूबिनी ने 2022 में भयावह आर्थिक मंदी की चेतावनी दी है। नूरील रूबिनी वो अर्थशास्त्री हैं जिन्होंने 2008 के आर्थिक संकट की सटीक भविष्यवाणी की थी। कहा जाता है कि जब उन्होंने आर्थिक संकट के बारे में सबसे पहले बात की थी, तब किसी ने उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया था, लेकिन उनकी सारी बातें सही साबित हुईं। तब अमेरिका गंभीर आर्थिक संकट से गुजरा था। 

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रूबिनी ने अमेरिका में और विश्व स्तर पर 2022 के अंत में एक ऐसी ही आर्थिक मंदी की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि यह भयावह हो सकती है और लंबे समय तक रह सकती है। उन्होंने संदेह जताया है कि यह 2023 तक चल सकती है। 

बता दें कि हाल ही में चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर बुरी ख़बर आई थी। चीन में आर्थिक मंदी का अंदेशा जताया जाने लगा था। चीन के रियल एस्टेट डेवलपर्स नुकसान में हैं। चीन के बैंकों की हालत दयनीय है। चीन का कुल कर्ज तेजी से बढ़ रहा है। ये वे संकेत हैं जिसे मंदी की आहट के तौर पर देखा जा रहा है। इस साल श्रीलंका की अर्थव्यवस्था भी तबाह हो गई थी और लोग सड़कों पर उतर आए थे। 

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क़मर वहीद नक़वी
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