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आरबीआई ने फिर बढ़ाया रेपो रेट, महंगी होगी ईएमआई

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने एक बार फिर रेपो रेट बढ़ा दिया है। आरबीआई ने बुधवार को रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की है। अब रेपो रेट बढ़कर 4.90% हो गया है। इसका एलान आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने किया। इससे पहले इस विषय पर मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में 3 दिन तक विचार-विमर्श हुआ।

मई से पहले आरबीआई ने लगातार 10 बार तक रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया था। लेकिन मई में रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की गई थी।

रेपो रेट के बढ़ने से घर की ईएमआई यानी होम लोन, गाड़ियों के लिए लिए गए लोन और पर्सनल लोन भी महंगे हो जाएंगे।

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यह कहा जा रहा है कि अगस्त में भी रेपो रेट में बढ़ोतरी की जा सकती है।

बता दें कि आरबीआई जिस रेट पर दूसरे बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहा जाता है। रेपो रेट कम होने का मतलब होता है कि बैंक से मिलने वाले सभी तरह के लोन सस्ते हो जाते हैं जबकि रेपो रेट ज्यादा होने का मतलब है कि लोन चुकाने के लिए आपको ज्यादा पैसे देने पड़ेंगे।

रेपो रेट बढ़ने का असर ईएमआई यानी मासिक किस्तों पर भी होगा और इससे उद्योग व अर्थव्यवस्था भी थोड़ा बहुत प्रभावित हो सकती है क्योंकि रेपो रेट बढ़ने का सीधा असर आम आदमी की जेब पर होगा। 

केंद्र ने उठाए क़दम

देश में लगातार बढ़ रही महंगाई को लेकर केंद्र सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है। इसके बाद सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी हटाने, गेहूं के एक्सपोर्ट पर बैन, चीनी के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के ड्यूटी फ्री इंपोर्ट का फैसला लेने जैसे कई कदम उठाए हैं। यह सभी कदम महंगाई को और न बढ़ने देने के लिए उठाए गए।

मंगलवार को ही विश्व बैंक ने भारत का आर्थिक विकास अनुमान घटाकर 7.5 फीसद कर दिया है। यह दूसरी बार है जब विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 में भारत के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद के विकास के अनुमान को संशोधित किया है। अप्रैल में इसने इसे 8.7% से घटाकर 8% कर दिया था।

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बता दें कि खुदरा महंगाई का आंकड़ा 8 साल में सबसे ऊपर पहुंच चुका है तो महंगाई का आंकड़ा बीते 13 महीने से लगातार दो अंकों में है। इसका सीधा मतलब है कि महंगाई बढ़ने की रफ्तार 10 परसेंट से ऊपर ही है।

बीते कुछ वक्त से यह माना जा रहा था कि कोरोना पर काबू पाए जाने के बाद अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ी है लेकिन तेजी से बढ़ रही महंगाई ने इस उम्मीद पर पानी फेर दिया है।

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क़मर वहीद नक़वी
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