क्या लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह कल्पना की जा सकती है कि किसी पूर्व मुख्यमंत्री को गिरफ़्तार कर लिया जाए और उससे कहा जाए वह यदि वह अपने ही राज्य में हो रही घटनाओं पर चुप रहे तो उसे रिहा किया जा सकता है? नरेंद्र मोदी सरकार में ऐसा ही हो रहा है और इसके एक से ज्यादा उदाहरण सामने आए हैं।
रिहाई के लिए 370 पर चुप रहने के बॉन्ड पर दस्तख़त करने को कहा था उमर, महबूबा से?
- जम्मू-कश्मीर
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- 30 Jul, 2020
केंद्र सरकार पर आरोप लग रहा है कि उसने उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती से कहा था कि वे अनुच्छेद 370 पर चुप रहने के बॉन्ड पर दस्तख़त कर दें तो उन्हें रिहा किया जा सकता है।
