लंबित पड़ी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं में से 61 फ़ीसदी तो 3-4 सुनवाइयों के बाद इस कारण से लंबित हैं क्योंकि सरकार ने कोर्ट से कहा कि हिरासत में लिए गए उन लोगों पर पीएसए लगाने के कारण पहले के डिटेंशन यानी हिरासत वाले आदेश पहले ही निरस्त कर दिए गए हैं।
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार अगस्त से लेकर दिसंबर 2019 तक दायर की गई 160 बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं का निस्तारण किया गया है। इसमें से 42 फ़ीसदी याचिकाओं का निस्तारण तो जुलाई महीने में किया गया है। यानी अनुच्छेद 370 में फेरबदल के क़रीब एक साल बाद। इस साल मार्च से लेकर जुलाई तक 65 फ़ीसदी याचिकाओं का निस्तारण किया गया। इन 160 में से सिर्फ़ 15 फ़ीसदी याचिकाओं का निस्तारण 2019 के आख़िर तक किया गया।