जम्मू कश्मीर के कुलगाम में एक युवक का शव मिलने के बाद मामला तूल पकड़ गया है। परिवार का कहना है कि उसे सेना ने पकड़ा था। सेना का कहना है कि वो भागते समय नदी में डूबा। जानिए पूरा मामलाः
यह फोटो वीडियो से लिया गया है। जिसमें युवक नदी में कूदता हुआ देखा जा सकता है।
जम्मू कश्मीर के कुलगाम में इम्तियाज अहमद मागरे का शव बरामद होने के बाद सियासी पारा हाई हो रहा है । एक ओर सुरक्षा बल इसे आत्महत्या बता रहे हैं । वहीं दूसरी ओर युवक का परिवार इसे हिरासत में हत्या का मामला बताकर न्याय की मांग कर रहा हैं । इस मामले ने अब राजनीतिक रंग लेना भी शुरु कर दिया है ।
जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में 22 वर्षीय इम्तियाज अहमद मागरे की मौत ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के बाद जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बल लगातार निगरानी रख रहे हैं । इसी दौरान कुलगाम के एक दिहाड़ी मजदूर, इम्तियाज अहमद मागरे की मौत ने सियासत को गरमा दिया। 4 मई, 2025 को इम्तियाज का शव विशाव नाला नदी में मिला। सुरक्षा बलों का दावा है कि इम्तियाज एक ओवर ग्राउंड वर्कर था, जो लश्कर-ए-ताइबा के आतंकवादियों को खाना और शरण देने में मदद करता था। अधिकारियों के मुताबिक, उसे शुक्रवार को हिरासत में लिया गया था। हिरासत में लेने के बाद उससे पूछताछ की गई । पूछताछ में उसने तंगमार्ग जंगल में आतंकी ठिकानों की जानकारी दी।
4 मई की सुबह, एक कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन (CASO) के दौरान, इम्तियाज सुरक्षा बलों को एक आतंकी ठिकाने की ओर ले जा रहा था। पुलिस का कहना है कि ड्रोन की कड़ी निगरानी के बीच, उसने अचानक विशाव नाला में छलांग लगा दी। इसके बाद एक 38 सेकंड का ड्रोन वीडियो, सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म X पर वायरल हुआ, इस वीडियो में इम्तियाज को नदी की ओर दौड़ते और तेज बहाव में कूदते देखा जा सकता है । सुरक्षा बल और पुलिस इसे आत्महत्या बता रही है और कह रही है कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है।
लेकिन इम्तियाज के परिवार और स्थानीय लोगों पुलिस पर आरोप लगा रहे हैं कि मागरे की मौत हिरासत में सोची समझी हत्या थी । उनका कहना है कि इम्तियाज एक गरीब दिहाड़ी मजदूर था, जिसका आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं था। परिवार का आरोप है कि उसे 2 मई को सेना ने हिरासत में लिया था। उन्होंने सेना के कैंप में जाकर उसकी रिहाई की गुहार लगाई, जहां उन्हें आश्वासन दिया गया कि वह जल्द छूट जाएगा। लेकिन रविवार की सुबह, उन्हें उसकी मौत की खबर मिली।
इस घटना ने जम्मू-कश्मीर की सियासत को हिलाकर रख दिया। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि ये घटना बेहद परेशान करने वाली है इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के बाद सामूहिक दंड की नीति से कश्मीर की शांति और पर्यटन को नुकसान हो सकता है। नेशनल कॉन्फ्रेंस की मंत्री साकिना इत्तू ने इम्तियाज के परिवार से मुलाकात की और कहा कि इम्तियाज एक गरीब मजदूर था , उसका कोई पुलिस रिकॉर्ड भी नहीं था। उन्होंने उपराज्यपाल से न्यायिक जांच की मांग की।
श्रीनगर के सांसद आगा रुहुल्लाह मेहंदी ने इसे मानवाधिकार उल्लंघन का हिस्सा बताया। और कहा कि आतंकियों पर कार्रवाई करते हुए कश्मीरी नागरिकों को निशाना बनाए जाने के आरोप से नहीं बचा जा सकता। मेहंदी ने आरोप लगाया कि इस मौत कश्मीर में मनमानी का बड़ा सबूत है। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन ने भी परिवार के दावों की जांच की मांग की।
इस विवाद के बाद, जम्मू-कश्मीर सरकार ने मामले में न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस ने भी मौत के कारणों की जांच शुरू की है और कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह जांच सच को सामने ला पाएगी? ड्रोन फुटेज के बावजूद, परिवार और स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह हिरासत में हत्या का मामला हो सकता है।
पहलगाम हमले के बाद आतंकवादियों की धर-पकड़ के लिए चलाए जा रहे सुरक्षा बलों के अभियान के तरीक़े को लेकर स्थानीय राजनीतिक दल पहले ही सवाल उठा रहे थे। अब इम्तियाज की मौत ने सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों के बीच विश्वास की कमी को और गहरा कर दिया है।