31 जनवरी की रात अपनी गिरफ्तारी और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा से पहले हेमंत सोरेन जब सत्ता की बागडोर सरकार के मंत्री चंपाई सोरेन के हाथों सौंपने का निर्णय दल के विधायकों को बता रहे थे, तब उन्हें इसका अहसास शायद नहीं रहा होगा कि कुछ महीनों बाद राजनीतिक परिस्थितियां तेजी से बदलेंगी और चंपाई सोरेन राह बदलते हुए बीजेपी का दामन थाम लेंगे। जाहिर तौर पर पिछले आठ महीनों से एक के बाद एक विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हेमंत सोरेन के सामने बीजेपी की घेराबंदी बढ़ी है। तब पूछा जा सकता है कि चुनौतियों से पार पाने के लिए हेमंत सोरेन कर क्या रहे हैं?
कैसे कांटे से कांटा निकालने की रणनीति में जुटे हैं हेमंत सोरेन
- झारखंड
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- 2 Sep, 2024

विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने जिस तरह से जाल बिछाया और चंपाई सोरेन के माध्यम से घेराबंदी की है, उससे हेमंत सोरेन कैसे निकल पाएँगे? क्या बीजेपी की इस घेरेबंदी से निकलने की रणनीति है उनके पास?
इन बनते- बिगड़ते समीकरणों और विधानसभा चुनाव के लिहाज से हेमंत सोरेन एक साथ दो मोर्चे संभाले दिखते हैं। पहला- राजकाज संभालते हुए सरकार को जनता के नजदीक पहुंचाने की कोशिश और दूसरा- कांटे से कांटा निकालने की रणनीति।