कर्नाटक के धर्मस्थला में कथित सामूहिक दफन मामले में एक नया और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। विशेष जांच दल (एसआईटी) ने उस पूर्व सफाईकर्मी को गिरफ्तार किया है, जिसने दावा किया था कि उसने 1995 से 2014 के बीच मंदिर प्रशासन के आदेश पर 70-80 शवों को दफनाया था। शुरुआत में इस शख्स को व्हिसलब्लोअर बताया गया था। लेकिन अब उसी को आरोपी बनाया गया है और उनकी पहचान सीएन चिन्नैया उर्फ चेन्ना के रूप में हुई है। पुलिस ने उन पर झूठी गवाही देने और नकली खोपड़ी पेश करने का आरोप लगाया गया है।

क्या है धर्मस्थला सामूहिक कब्र मामला

चेन्ना ने जुलाई 2025 में धर्मस्थला पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें उसने दावा किया था कि उसे मंदिर प्रशासन के निर्देश पर कई शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया। जिनमें से कई महिलाओं और नाबालिगों के थे और उन पर यौन उत्पीड़न के निशान थे। उसने 15 स्थानों की पहचान की थी, जहां कथित तौर पर शव दफनाए गए थे। उसने एक खोपड़ी और हड्डियों के साथ सबूत के तौर पर तस्वीरें भी पेश की थीं। हालांकि, एसआईटी की जांच में पाया गया कि उसके द्वारा पेश की गई खोपड़ी नकली थी, और उसके बयानों में कई विसंगतियां थीं। इसके बाद, शुक्रवार को लंबी पूछताछ के बाद शनिवार सुबह 6 बजे उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
एसआईटी ने अब तक 15 में से सिर्फ एक स्थान (स्पॉट नंबर 6) पर पुरुष की हड्डियों के अवशेष पाए हैं, जबकि अन्य स्थानों पर कोई मानव अवशेष नहीं मिले। पुलिस ने बताया कि चेन्ना को बेलटंगडी कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा।

धर्मस्थला पर कांग्रेस और बीजेपी में राजनीतिक विवाद

यह मामला कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी बीजेपी के बीच तीखी राजनीतिक जंग का कारण बन गया है। बीजेपी ने इस मामले को कांग्रेस द्वारा धर्मस्थला मंदिर की छवि को धूमिल करने की साजिश करार दिया है। बीजेपी प्रवक्ता जीएस प्रसंथ ने कहा, "अब उसकी सच्चाई सामने आ गई है। यह कांग्रेस द्वारा शुरू किया गया एक पूरा टूलकिट था।" बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने भी इसे "निराधार" बताते हुए कहा कि अगर शिकायत दर्ज की जाती है तो सरकार इसकी जांच करेगी। यहां बताना जरूरी है कि धर्मस्थला मंदिर का नियंत्रण बीजेपी से जुड़े लोगों के पास है।

बीजेपी ने मामला उछालने के लिए विदेशी फंडिंग का आरोप लगाया

कर्नाटक सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एसआईटी गठित की थी। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 18 जुलाई को कहा था कि अगर पुलिस की रिपोर्ट में सिफारिश की जाती है तो एसआईटी जांच से कोई गुरेज नहीं है। हालांकि, बीजेपी ने आरोप लगाया कि यह जांच प्रगतिशील समूहों, वामपंथियों और अर्बन नक्सलियों के दबाव में शुरू की गई थी। बीजेपी सांसद कोटा श्रीनिवास पूजारी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच की मांग की, जिसमें उन्होंने दावा किया कि धर्मस्थला को बदनाम करने के लिए विदेशों से फंडिंग की जा रही है।
धर्मस्थला, जो कर्नाटक का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और जैन हेगड़े परिवार इसका प्रशासन संभालता है। यह परिवार बीजेपी से जुड़ा है। यह मामला इसलिए भी चर्चा में रहा क्योंकि यह 2012 के सौजन्या बलात्कार-हत्या मामला भी इस जगह से जुड़ा। हालांकि मामला आगे नहीं बढ़ा लेकिन मंदिर की बदनामी बहुत हुई। इसके अलावा, आरटीआई के जरिए यह खुलासा हुआ कि बेलटंगडी पुलिस ने 2000 से 2015 के बीच अप्राकृतिक मृत्यु रजिस्टर (यूडीआर) के रिकॉर्ड नष्ट कर दिए थे, जिसने मामले को और संदिग्ध बना दिया।
व्हिसलब्लोअर की गिरफ्तारी ने इस मामले में एक नया सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या यह वास्तव में एक साजिश थी या फिर सच्चाई को दबाने की कोशिश। यह मामला न केवल धर्मस्थला की आध्यात्मिक विरासत को प्रभावित कर रहा है, बल्कि कर्नाटक की राजनीति में भी एक बड़ा मुद्दा बन गया है। एसआईटी अब भी इस मामले की जांच कर रही है, और हड्डियों के अवशेषों की फोरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार है। यह देखना बाकी है कि यह जांच सच को उजागर कर पाएगी या फिर यह सौजन्या मामले की तरह अनसुलझा रह जाएगा।