सीआईडी ने जनवरी से अप्रैल 2025 तक कर्नाटक के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर यानी सीईओ को सात पत्र लिखे, और पहले भी पांच पत्र भेजे थे। इनमें आईपी लॉग्स यानी इंटरनेट प्रोटोकॉल लॉग्स, डेट, टाइम, डेस्टिनेशन आईपी और पोर्ट्स की मांग की गई, ताकि फर्जी आवेदनों के पीछे के मशीनों और सेशन्स का पता लगाया जा सके। इसके अलावा, सीआईडी ने तीन अहम सवाल पूछे:
- क्या एनवीएसपी और वीएचए ऐप्स में ओटीपी/मल्टीफैक्टर ऑथेंटिकेशन सुविधा अपनाई गई है?
- क्या यह सुविधा आवेदन अपलोड करने तक विस्तारित है?
- ओटीपी किस मोबाइल नंबर पर भेजा जाता है - लॉगिन वाले या फॉर्म में दिए गए, या दोनों पर?
सीआईडी सूत्रों के अनुसार, ईसीआई ने इन सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। द हिंदू ने 29 अगस्त को सीईओ को ईमेल किया, जिसमें पूछा गया कि क्या डेटा साझा किया गया और ऐप्स के जरिए वोटर क्रेडेंशियल्स का दुरुपयोग कैसे संभव है। 4 सितंबर को रिमाइंडर ईमेल के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। दो साल से ज्यादा की जांच अब ठंडी पड़ गई है।
कांग्रेस का हमला
यह मामला कांग्रेस के 'वोट चोरी' कैंपेन से जुड़ गया है। अगस्त 2025 में राहुल गांधी ने महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1,00,250 फर्जी वोटों का दावा किया, जिसमें डुप्लिकेट वोटर, फर्जी एड्रेस, बल्क रजिस्ट्रेशन, इनवैलिड फोटोज और फॉर्म 6 का दुरुपयोग शामिल था। उन्होंने ईसीआई पर बीजेपी से साठगांठ का आरोप लगाया और मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट्स की मांग की। कर्नाटक सीईओ ने राहुल को नोटिस जारी कर हलफनामा मांगा, लेकिन उन्होंने कहा, 'मेरा शब्द ही शपथ है। ईसीआई डेटा को गलत क्यों नहीं बता रही?'