क्या मतदाता की जानकारी के बिना उसके ज़िंदा रहते वोटर लिस्ट से उसका नाम हट सकता है? कर्नाटक की अलंद विधानसभा में 2023 चुनाव से पहले क़रीब छह हज़ार मतदाताओं के नाम इसी तरह से हटाने की कोशिश की गई थी। इन मतदाताओं को पता भी नहीं था और किसी ने नाम हटाने के लिए फॉर्म 7 भर दिया। शिकायत पर सीआईडी ने जाँच शुरू की, लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि ऐसा करने की किसने साज़िश रची। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग डेटा को छुपा रहा है। उन्होंने पूछा है कि क्या 'वोट चोरी' के लिए चुनाव आयोग बीजेपी के लिए पिछले दरवाजे से काम कर रहा है।

रिपोर्ट है कि अलंद विधानसभा क्षेत्र में 5,994 वोटों को 'चुराने' की साजिश की जांच अब ठहर गई है। चुनाव आयोग यानी ईसीआई द्वारा आईपी लॉग्स, सेशन डिटेल्स और ऐप्स के यूज के स्टेप-बाय-स्टेप जैसे तकनीकी डेटा न साझा करने से कर्नाटक पुलिस के सीआईडी विभाग की जांच रुक गई है। यह मामला 2023 विधानसभा चुनाव से जुड़ा है, जहां फॉर्म 7 का दुरुपयोग कर वोटरों के नाम हटाने की कोशिश की गई थी।

अलंद में साजिश का खुलासा

फरवरी 2023 में अलंद विधानसभा क्षेत्र में वोटर लिस्ट मैनिपुलेशन का मामला सामने आया था। तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी और वरिष्ठ नेता बी.आर. पाटिल को सूचना मिली कि कई वोटरों को बिना जानकारी के उनके नाम हटाने के लिए फॉर्म 7 (वोटर डिलीशन के लिए फॉर्म) जमा किए जा रहे हैं। द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, एक बूथ लेवल अधिकारी यानी बीएलओ को अपने ही भाई का नाम हटाने का फॉर्म मिला, जबकि उस व्यक्ति ने कभी आवेदन नहीं किया था। नाम हटाने का फॉर्म उसी गाँव के एक मतदाता के क्रेडेंशियल का इस्तेमाल कर भरा गया। पड़ताल में पता चला कि न तो मतदाता ने और न ही उस गांव के दूसरे मतदाता ने फॉर्म भरा था।

जांच में पता चला कि कुल 6,018 फॉर्म 7 आवेदन जमा किए गए थे, जिनमें से केवल 24 ही वैध थे। बाकी सभी फर्जी थे और मुख्य रूप से कांग्रेस समर्थक वोटरों को निशाना बनाया गया था।

अलंद की रिटर्निंग ऑफिसर ममता देवी ने 21 फरवरी 2023 को अलंद पुलिस को शिकायत दर्ज कराई। मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे कर्नाटक पुलिस के क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट यानी सीआईडी को सौंप दिया गया। अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार 2018 में भाजपा प्रत्याशी से महज 697 वोटों से हारने वाले पाटिल ने 2023 चुनाव में 10,348 वोटों से जीत हासिल की। वह कहते हैं कि यदि समय रहते उन्होंने इस फर्जीवाड़े को रोका नहीं होता तो उनका चुनाव जीतना मुश्किल हो जाता।

सीआईडी की जाँच में एक साजिश का पर्दाफाश हुआ। मतदाताओं के नाम हटाने के लिए फर्जी फॉर्म ईसीआई के नेशनल वोटर सर्विस पोर्टल यानी एनवीएसपी, वोटर हेल्पलाइन ऐप यानी वीएचए और गरुड़ ऐप के जरिए जमा किए गए थे। लेकिन जाँच के आगे बढ़ने में रुकावट आ गई क्योंकि ईसीआई ने तकनीकी डेटा साझा नहीं किया।

सीआईडी के 12 पत्रों का कोई जवाब नहीं?

सीआईडी ने जनवरी से अप्रैल 2025 तक कर्नाटक के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर यानी सीईओ को सात पत्र लिखे, और पहले भी पांच पत्र भेजे थे। इनमें आईपी लॉग्स यानी इंटरनेट प्रोटोकॉल लॉग्स, डेट, टाइम, डेस्टिनेशन आईपी और पोर्ट्स की मांग की गई, ताकि फर्जी आवेदनों के पीछे के मशीनों और सेशन्स का पता लगाया जा सके। इसके अलावा, सीआईडी ने तीन अहम सवाल पूछे:
  • क्या एनवीएसपी और वीएचए ऐप्स में ओटीपी/मल्टीफैक्टर ऑथेंटिकेशन सुविधा अपनाई गई है?
  • क्या यह सुविधा आवेदन अपलोड करने तक विस्तारित है?
  • ओटीपी किस मोबाइल नंबर पर भेजा जाता है - लॉगिन वाले या फॉर्म में दिए गए, या दोनों पर?
सीआईडी सूत्रों के अनुसार, ईसीआई ने इन सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। द हिंदू ने 29 अगस्त को सीईओ को ईमेल किया, जिसमें पूछा गया कि क्या डेटा साझा किया गया और ऐप्स के जरिए वोटर क्रेडेंशियल्स का दुरुपयोग कैसे संभव है। 4 सितंबर को रिमाइंडर ईमेल के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। दो साल से ज्यादा की जांच अब ठंडी पड़ गई है।

कांग्रेस का हमला

यह मामला कांग्रेस के 'वोट चोरी' कैंपेन से जुड़ गया है। अगस्त 2025 में राहुल गांधी ने महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1,00,250 फर्जी वोटों का दावा किया, जिसमें डुप्लिकेट वोटर, फर्जी एड्रेस, बल्क रजिस्ट्रेशन, इनवैलिड फोटोज और फॉर्म 6 का दुरुपयोग शामिल था। उन्होंने ईसीआई पर बीजेपी से साठगांठ का आरोप लगाया और मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट्स की मांग की। कर्नाटक सीईओ ने राहुल को नोटिस जारी कर हलफनामा मांगा, लेकिन उन्होंने कहा, 'मेरा शब्द ही शपथ है। ईसीआई डेटा को गलत क्यों नहीं बता रही?'
कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा है कि मतदाताओं के नाम हटाए जाने पर कांग्रेस सरकार ने सीआईडी जाँच का आदेश दिया। उन्होंने कहा, 'लेकिन यहाँ पेच यह है- जहाँ चुनाव आयोग ने पहले जालसाजी का पता लगाने के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ों का एक हिस्सा साझा किया था, वहीं अब उसने अहम जानकारी को छुपा लिया है और वोट चोरी के पीछे छिपे लोगों को प्रभावी ढंग से बचा रहा है!'

खड़गे के तीन बड़े सवाल

  • चुनाव आयोग ने अचानक अहम सबूत क्यों रोक दिए?
  • वह किसे बचा रहा है? भाजपा के वोट चोरी विभाग को?
  • क्या चुनाव आयोग भाजपा के दबाव में झुककर सीआईडी ​​जाँच को पटरी से उतार रहा है?
खड़गे ने कहा कि 'व्यक्ति के वोट देने के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए। भारतीय लोकतंत्र की रक्षा की जानी चाहिए।'
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ईसीआई को 'लंगड़ा बहाना' देने वाला बताया। कर्नाटक उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने महादेवपुरा और गांधी नगर में फ्रॉड की शिकायत दर्ज कराई। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, 'ईसीआई को जवाबदेह बनाना होगा।' 

ईसीआई का बचाव

ईसीआई ने आरोपों को 'झूठा और भ्रामक' बताया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 17 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'वोट थेफ्ट जैसे शब्द संविधान का अपमान हैं।' उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक जजमेंट का हवाला दिया कि मशीन-रीडेबल लिस्ट्स गोपनीयता का उल्लंघन करेंगी।

जांच फिर शुरू होने की उम्मीद

अलंद मामले में ईसीआई के डेटा के बिना आरोपी पकड़े नहीं जा सकते। पाटिल ने कहा, 'ईसीआई को लोकतंत्र बचाने के लिए मदद करनी चाहिए।' ईसीआई 10 सितंबर को सीईओ कांफ्रेंस बुला रहा है, जहां एसआईआर की तैयारी पर चर्चा होगी। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से पारदर्शिता बढ़ सकती है, लेकिन फिलहाल विवाद बरकरार है।