नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों में कर्नाटक में दो लोगों की मौत हुई है। मारे गए लोगों के परिवारों को राज्य की येदियुरप्पा सरकार ने 10-10 लाख रुपये देने की घोषणा की थी। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से यू-टर्न लेते हुए राज्य सरकार ने अपने ही फ़ैसले पर रोक लगा दी और जाँच पूरी होने की बात कही। लेकिन ऐसा सरकार ने क्यों किया? क्या किसी राजनीतिक दबाव में ऐसा किया गया?
नागरिकता क़ानून: येदियुरप्पा ने पहले घोषित की मुआवजा राशि, बाद में लगाई रोक
- कर्नाटक
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- 26 Dec, 2019
नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शनों के दौरान मेंगलुरू में मारे गए लोगों के परिवारों को राज्य की येदियुरप्पा सरकार ने 10-10 लाख रुपये देने की घोषणा की थी।

इन दोनों लोगों का नाम अब्दुल जलील (49) और नौशीन कुडरोली (23) था। दोनों का ही नाम मेंगलुरू पुलिस की ओर से 29 लोगों के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर में भी था। एफ़आईआर के मुताबिक़, प्रतिबंधित आदेशों के बाद भी 1,500-2,000 लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने पुलिस स्टेशन पर पत्थर फेंके और पुलिस के कहने के बाद भी वहां से नहीं हटे। एफ़आईआर में कहा गया है कि इसके बाद पुलिस को हवा में फ़ायरिंग करनी पड़ी। राज्य की सरकार ने इस मामले में सीआईडी और मजिस्ट्रीयल जाँच करने के आदेश दिए हैं। दोनों की मौत 19 दिसंबर को हुई पुलिस की फ़ायरिंग में हुई थी।