मतदाता सूची से वोटरों को हटाने का जिस तरह का प्रयास कर्नाटक के आलंद में हुआ था, वैसा ही प्रयास अन्य विधानसभा सीटों पर किया गया था। यह आलंद मामले में जाँच कर रही एसआईटी ने खुलासा किया है। वोट हटाने का यह प्रयास कर्नाटक में 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले किया गया। द इंडियन एक्सप्रेस ने एसआईटी सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि एसआईटी ने इस मामले की जाँच में पाया कि कलबुर्गी जिले की कम से कम दो अन्य सीटों की मतदाता सूचियों में भी हेरफेर करने के लिए एक डेटा सेंटर का उपयोग किया गया था। हाल के चुनावों में जिन विधानसभा सीटों पर जीत का अंतर कम रहा, वो मतदाता हेरफेर के प्रयासों के मुख्य निशाना थीं।

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से ख़बर दी गई है कि कलबुर्गी क्षेत्र के मुख्य रूप से बीजेपी के नेताओं ने इस डेटा सेंटर की सेवाओं का उपयोग किया। अंग्रेज़ी अख़बार को एक अधिकारी ने बताया कि कलबुर्गी शहर की एक विधानसभा सीट में लगभग 35000 मतदाता नामों के साथ हेरफेर किया गया। ये नाम मुख्य रूप से अल्पसंख्यक समुदायों के हैं। जाँच में यह भी सामने आया कि कलबुर्गी में एक अकाउंटेंट के माध्यम से डेटा सेंटर के संचालकों को धनराशि हस्तांतरित की गई थी। सूत्रों ने बताया कि इस अकाउंटेंट की भूमिका अहम थी और उसका लैपटॉप जब्त कर लिया गया है।
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डेटा सेंटर ने क्या किया

'द इंडियन एक्सप्रेस' की एक पिछली रिपोर्ट के अनुसार, कलबुर्गी के डेटा सेंटर में कर्मचारियों को प्रत्येक ऑनलाइन आवेदन के लिए 80 रुपये का भुगतान किया जाता था। इस डेटा सेंटर का संचालन स्थानीय निवासी मोहम्मद अशफाक और उनके सहयोगी मोहम्मद अकरम द्वारा किया जा रहा था। दोनों से पहले पूछताछ की गई थी, जिसके बाद अशफाक दुबई चले गए। तीन डेटा एंट्री ऑपरेटरों से भी पूछताछ की गई और उनकी जाँच की गई।

एसआईटी जाँच से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया गया कि आलंद के मामले में मुकदमा चलाने के लिए ज़रूरी अहम साक्ष्य मिले हैं। हालाँकि, जाँच दल को वर्तमान में कलबुर्गी की अन्य सीटों पर मतदाता हेरफेर के आरोपों की जांच का अधिकार नहीं है।

कांग्रेस का आरोप, बीजेपी का खंडन

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने पिछले महीने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आलंद को 'वोट चोरी' के उदाहरण के रूप में उल्लेख किया था। दूसरी ओर, 2023 में गुलबर्ग उत्तर से मामूली अंतर से हारने वाले बीजेपी नेता चंद्रकांत पाटिल ने दावा किया कि किसी भी पार्टी उम्मीदवार का मतदाता सूची में हेरफेर से कोई संबंध नहीं था। उन्होंने 'द इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि यदि डेटा सेंटर के संचालकों के साथ कोई समझौता हुआ तो यह स्थानीय बीजेपी नेताओं, जैसे कॉरपोरेटरों द्वारा किया गया होगा, न कि बीजेपी उम्मीदवार द्वारा। यह 'कानूनी' रूप से किया गया होगा।

पाटिल ने कहा, 'स्थानीय नेताओं ने मतदाता सूची संशोधन के लिए हर मोहल्ले में शिविर लगाए। उन्होंने बैनर लगाए और समाचार पत्रों में विज्ञापन दिए... यह कानूनी रूप से किया गया। यह मतदाता सूची में नाम जोड़ने और दोहरे नाम हटाने के लिए था। बीजेपी नेताओं ने डेटा सेंटर के साथ समझौता किया होगा और इसका मुझसे कोई संबंध नहीं है।'

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि गुलबर्ग उत्तर में कांग्रेस ने मतदाता सूचियों में बदलाव की कोशिश की हो सकती है। उन्होंने दावा किया, 'गुलबर्ग उत्तर में अल्पसंख्यकों के बीच 30,000 से अधिक फर्जी वोट हैं।' यहाँ 50% से अधिक मतदाता अल्पसंख्यक समुदायों से हैं।
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कांग्रेस का जवाब

कलबुर्गी क्षेत्र से कांग्रेस मंत्री प्रियंक खड़गे ने कहा कि सबूत उनकी पार्टी के दावों को सही साबित करते हैं। उन्होंने 'द इंडियन एक्सप्रेस' को बताया, "सभी जांच अब बीजेपी नेताओं और उनके सहयोगियों द्वारा गड़बड़ी की ओर इशारा करती हैं। बीजेपी के 'वोट चोरी' के हर गंदे हथकंडे और कार्यप्रणाली का पर्दाफाश होगा और हर जिम्मेदार व्यक्ति को सलाखों के पीछे डाला जाएगा।'

कलबुर्गी क्षेत्र पारंपरिक रूप से दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों के बड़े मतदाता आधार के कारण कांग्रेस का गढ़ रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे कलबुर्गी के गुरमिटकल से विधायक और गुलबर्ग लोकसभा सीट से दो बार सांसद रह चुके हैं।

आलंद जांच की शुरुआत

आलंद में धोखाधड़ी की शिकायत सबसे पहले कांग्रेस उम्मीदवार बी. आर. पाटिल ने दिसंबर 2022 से फरवरी 2023 के बीच चुनाव आयोग के मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया के दौरान उठाई थी। 2018 में अपने बीजेपी प्रतिद्वंद्वी सुभाष गुट्टेदार से केवल 697 वोटों से हारने के बाद पाटिल सतर्क थे। उन्होंने शिकायत दर्ज कराई कि 6670 से अधिक नामों को हटाने का प्रयास किया गया, जो 254 मतदान केंद्रों में थे और यह वास्तविक मतदाताओं की पहचान का उपयोग करके किया गया। आवेदकों या जिनके नाम पर आवेदन किए गए, उनको इसकी जानकारी तक नहीं थी। 
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21 फरवरी 2023 को आलंद के रिटर्निंग ऑफिसर ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। FIR के अनुसार, अज्ञात व्यक्तियों ने 'बिना मतदाताओं की सहमति या जानकारी के मतदाता नाम हटाने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के लिए कई मोबाइल फोन का उपयोग किया।' चुनाव अधिकारियों द्वारा ज़मीनी स्तर पर सत्यापन में पाया गया कि 6,018 नामों को रिमोट आवेदनों के माध्यम से हटाने की कोशिश की गई, जिनमें से केवल 24 आवेदन वैध थे क्योंकि संबंधित मतदाता अब आलंद में नहीं रह रहे थे।

एसआईटी अभी तक यह तय नहीं कर पाई है कि डेटा सेंटर संचालकों को चुनाव आयोग के पोर्टल तक पहुंच कैसे मिली। 3000 से अधिक फर्जी फोन नंबरों का उपयोग करके हटाने के आवेदन दाखिल किए गए थे।

हटाने की क्या थी रणनीति?

बी. आर. पाटिल ने दावा किया कि नाम हटाने के प्रयास लक्षित थे और कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले मतदान केंद्रों के मतदाताओं के नाम हटाने की कोशिश की गई। राहुल गांधी ने 18 सितंबर को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी यही दावा किया था। उन्होंने कहा, 'सबसे अधिक नाम हटाने वाले शीर्ष 10 मतदान केंद्र कांग्रेस के गढ़ थे। और 2018 में इन 10 में से आठ मतदान केंद्रों में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। यह संयोग नहीं, बल्कि एक सुनियोजित ऑपरेशन है।'

बहरहाल, एसआईटी की जाँच अभी भी जारी है और यह देखना बाक़ी है कि कलबुर्गी की अन्य सीटों पर मतदाता हेरफेर के आरोपों की जांच के लिए जांच दल का दायरा बढ़ाया जाएगा या नहीं।