केरल के स्थानीय निकाय चुनाव 2025 में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने निर्णायक जीत दर्ज की है। वाम मोर्चे को करारा झटका लगा है। हालांकि तिरुवनंतपुरम नगर निगम पर भाजपा की जीत को मीडिया काफी प्रचारित कर रहा है। जानिए इस चुनाव का असरः
केरल निकाय चुनाव में कांग्रेस वाले यूडीएफ ने बड़ी जीत दर्ज की है।
केरल में स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजे राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आए हैं। कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) ने बड़ी जीत हासिल की है। इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक हवा किस ओर बह रही है।
यूडीएफ ने कई नगर निगमों और पंचायतों में निर्णायक बढ़त हासिल की है, जो सत्ताधारी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) के लिए एक बड़ा झटका है। यह जीत न केवल यूडीएफ कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाएगी, बल्कि यह भी दर्शाती है कि राज्य के मतदाताओं का रुझान अब कांग्रेस के पक्ष में मुड़ रहा है।
बड़ी जीत: यूडीएफ ने ब्लॉक पंचायतों और नगर पालिकाओं में निर्णायक बढ़त बनाई है और कई जिला पंचायतों में भी अपनी स्थिति मजबूत की है।
मतदाताओं का संदेश: यह परिणाम साफ तौर पर एलडीएफ के मौजूदा शासन से जनता की निराशा और यूडीएफ में नए विश्वास का प्रमाण है।
एलडीएफ को बड़ा झटका और घोषणाओं की उपेक्षा
- वाम मोर्चा (LDF) को इन चुनावों में करारा झटका लगा है। जहां ग्राम पंचायतों में उनकी स्थिति थोड़ी बेहतर बनी रही, वहीं जिला पंचायतों, नगर निगमों और नगरपालिकाओं जैसे महत्वपूर्ण शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में वे यूडीएफ से काफी पीछे छूट गए।
- घोषणाओं का असर नहीं: एलडीएफ ने इन चुनावों के लिए कई लोकलुभावन घोषणाएं की थीं, लेकिन ऐसा लगता है कि जनता ने उन पर ध्यान नहीं दिया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मौजूदा सरकार के प्रदर्शन, विशेषकर भ्रष्टाचार के आरोपों और शासन संबंधी चिंताओं के कारण हुआ है।
- विधानसभा चुनाव पर असर: चूंकि विधानसभा चुनाव कुछ ही महीनों बाद होने हैं, एलडीएफ के लिए यह हार एक बड़ी चेतावनी है और उन्हें अपनी रणनीति पर गंभीर रूप से पुनर्विचार करना होगा।
तिरुवनंतपुरम में बीजेपी/एनडीए की ऐतिहासिक सफलता
- इन परिणामों की एक और सबसे महत्वपूर्ण बात भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) की उल्लेखनीय सफलता है। बीजेपी ने राजधानी तिरुवनंतपुरम नगर निगम में बड़ी जीत हासिल कर सीपीएम (LDF) के कब्जे से यह महत्वपूर्ण सीट छीन ली है।
- तिरुवनंतपुरम में एनडीए की जीत ने केरल की पारंपरिक द्वि-ध्रुवीय राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। यह जीत संकेत देती है कि शहरी मतदाता अब बीजेपी को भी एक विकल्प के रूप में देख रहे हैं।
- कुछ विश्लेषकों का मानना है कि मुनंबम जैसे क्षेत्रों में बीजेपी की सफलता वक्फ भूमि विवाद जैसे स्थानीय मुद्दों पर उनके मुखर रुख का परिणाम हो सकती है, जहां उन्होंने ईसाई परिवारों का समर्थन किया।
पीएम मोदी और नेता विपक्ष राहुल गांधी के बयान
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरुवनंतपुरम में एनडीए की ऐतिहासिक जीत पर बधाई दी। हालांकि, उन्होंने यूडीएफ की व्यापक जीत के बावजूद, यूडीएफ और एलडीएफ दोनों को 'करारा झटका' लगने की बात कहकर, मुख्य रूप से बीजेपी की सफलता को उजागर किया।
- कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी ने यूडीएफ की जीत को आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़ते हुए इसे एक स्पष्ट संकेत माना है। उन्होंने कहा कि यह परिणाम विधानसभा चुनाव का 'सेमीफाइनल' है और यह दर्शाता है कि केरल में अगली सरकार यूडीएफ की ही बनेगी।
आगामी विधानसभा चुनावों पर असर
निकाय चुनावों के नतीजों ने साफ संकेत दे दिया है कि केरल में राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं।
यूडीएफ की दावेदारी मजबूत: यूडीएफ की व्यापक जीत ने उन्हें विधानसभा चुनाव के लिए एक मजबूत दावेदार के रूप में स्थापित कर दिया है।
एलडीएफ पर दबाव: एलडीएफ को अब न केवल यूडीएफ से, बल्कि तिरुवनंतपुरम जैसी जगहों पर बीजेपी से भी दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
बीजेपी की बढ़ती उपस्थिति: बीजेपी ने यह साबित कर दिया है कि वह अब केवल एक 'तीसरी ताकत' नहीं है, बल्कि कुछ प्रमुख शहरी केंद्रों में सत्ताधारी दल को चुनौती देने की क्षमता रखती है।केरल स्थानीय निकाय चुनाव नतीजेः एक नज़र डालिए
निकाय चुनाव दो चरणों में 9 और 11 दिसंबर को हुए थे। जिसमें 6 कॉर्पोरेशनों, 86 नगरपालिकाओं, 14 जिला पंचायतों, 152 ब्लॉक पंचायतों और 941 ग्राम पंचायतों के लिए मतदान हुआ। मतगणना शनिवार सुबह 8 बजे शुरू हुई थी। मुख्य नतीजे इस तरह रहे:
6 नगर निगम
यूडीएफ: 4 (कोल्लम, कोच्चि, थ्रिसूर, कन्नूर)। कई एलडीएफ गढ़ों को छीना।
एलडीएफ: 1 (कोझिकोड)।
एनडीए: 1 (तिरुवनंतपुरम) – तिरुवनंतपुरम में एनडीए ने 50 वार्ड जीते, एलडीएफ 29 और यूडीएफ 19। यह एलडीएफ के 45 वर्षों के शासन का अंत है।
86 नगरपालिकाएं
यूडीएफ: 54- एर्नाकुलम, अलप्पुझा, मलप्पुरम, कोट्टायम आदि में प्रभुत्व।
एलडीएफ: कई गढ़ बरकरार रखे लेकिन 2020 की तुलना में कमजोर।
एनडीए: पलक्कड़ बरकरार रखा, त्रिपुनिथुरा जीता।
14 जिला पंचायतें
यूडीएफ: 8
एलडीएफ: 6 (2020 में एलडीएफ के पास 11 थीं)।
152 ब्लॉक पंचायतें
यूडीएफ: 81
एलडीएफ: 63 (2020 में एलडीएफ के पास 108 थीं)।
941 ग्राम पंचायतें
यूडीएफ: 492
एलडीएफ: 347
एनडीए: 25
टाई: 64
(2020 में एलडीएफ: 514, यूडीएफ: 321)।
- 2020 की तुलना में यूडीएफ ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बड़ा उछाल दिखाया, जबकि एलडीएफ की पकड़ कमजोर पड़ी। एनडीए का प्रदर्शन मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों तक सीमित रहा, लेकिन तिरुवनंतपुरम की जीत को ऐतिहासिक माना जा रहा है।