क्या हो जब आपके परिवार का कोई सदस्य इस लॉकडाउन में सैकड़ों किलोमीटर दूर फँसा हो और फ़ोन पर सिर्फ़ इतना ही कह सके कि 'लेने आ सकते हो तो आ जाओ'! फिर उसकी आवाज़ तक न निकले। क्या हो जब आपको अहसास हो जाए कि आपका अपना कोई आख़िरी साँसें गिन रहा है! न कोई वाहन और न एंबुलेंस। पूरी तरह पाबंदी लगी हो। और क्या हो जब आप चाहकर भी मदद करने समय पर नहीं पहुँच सकें! और जब पहुँचें भी तो पार्थिव शरीर मिले।