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अब पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी!

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बाद अब पूर्व केन्द्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश विधानसभा के वरिष्ठ सदस्य कांतिलाल भूरिया इसी महीने हुए एक राजनैतिक विवाद को लेकर मुश्किल में फँस गए हैं। कई संगीन धाराओं में भूरिया और उनके बेटे पर दर्ज हुई एफ़आईआर के बाद कोर्ट ने भूरिया की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज़ कर दिया है। भूरिया पर अब गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है।

बीती 17 मार्च को अलीराजपुर ज़िले के जोबट में भगोरिया मेले से लौटते वक़्त कांतिलाल भूरिया और उनके बेटे डॉक्टर विक्रांत भूरिया की कांग्रेस के नेता महेश पटेल से भिड़ंत हो गई थी। दोनों पक्षों के बीच जमकर मारपीट हई थी। वाहन तोड़े गए थे। गाली-गलौच हुई थी। कुछ लोगों को जबरिया उठाया गया था। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर कई आरोप लगाये थे।

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जोबट पुलिस ने कांतिलाल भूरिया पक्ष की शिकायत पर महेश पटेल एवं उनके समर्थकों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 392, 307, 34 और बलवा आदि में मामला दर्ज किया था।

जबकि महेश पटेल द्वारा दिये गये आवेदन के बाद कांतिलाल भूरिया, डॉक्टर विक्रांत भूरिया एवं उनके समर्थकों के विरूद्ध भारतीय दंड विधान की धारा 307, 392, 506, 34 और 365 के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया। जोबट पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफ़आईआर को लेकर कांतिलाल भूरिया, विक्रांत भूरिया और उनके समर्थकों ने अग्रिम जमानत की याचिका लगाई थी। कोर्ट ने एफ़आईआर गंभीर धाराओं में दर्ज होने की दलील देते हुए भूरिया पक्ष की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।

अलीराजपुर एसपी मनोज सिंह ने ‘सत्य हिन्दी’ से इस बात की पुष्टि की कि भूरिया पक्ष द्वारा लगाई गई अग्रिम जमानत की याचिका कोर्ट ने खारिज़ कर दी है। एसपी ने कहा, ‘पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। दोनों पक्षों की शिकायतों पर आरोपी बनाए गए लोगों के 161 के तहत बयान लिये जा रहे हैं।’ उन्होंने यह भी कहा, 

केस दर्ज होने के बाद गिरफ्तारियाँ होती हैं। चूंकि यह मामला पॉलीटिकल है। जांच में है। बयान दर्ज हो रहे हैं। आरोपी और उनके समर्थक पुलिस जांच में सहयोग कर रहे हैं, लिहाजा पुलिस की पहली कोशिश जांच शीघ्रता के साथ कर लेने की है।


मनोज सिंह, अलीराजपुर एसपी

एक सवाल के जवाब में एसपी ने ‘अग्रिम जमानत की याचिका खारिज़ हो जाने के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी की संभावनाओं से इनकार नहीं किया।’ उन्होंने यह भी बताया कि 161 के तहत हो रहे बयानों के बाद भूरिया पक्ष के लोगों पर लूट की जगह डकैती की धारा पुलिस ने बढ़ाई है।

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महेश पटेल पुराने कांग्रेसी हैं

महेश पटेल पुराने कांग्रेसी हैं। कमलनाथ की अगुवाई वाली प्रदेश कांग्रेस में वे अलीराजपुर ज़िला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं। हाल ही के जोबट उपचुनाव में कांग्रेस ने महेश पटेल को टिकट दिया। पटेल चुनाव हार गए।

हार के बाद पटेल ने कांतिलाल भूरिया और उनके बेटे विक्रांत भूरिया पर सेबोटेज का आरोप लगाया है। यह भी आरोप रहा कि भूरियाओं के कारण ही वे सुनिश्चित जीत वाला उपचुनाव हार गए। इधर कांतिलाल भूरिया ने पटेल के आरोपों के जवाब में कहा है, ‘यदि वे चुनाव का प्रचार नहीं करते तो महेश पटेल की जमानत भी नहीं बच पाती। वे (महेश पटेल) अपने कर्मों और बुरे बर्ताव के कारण चुनाव हारे।’

उपचुनाव के बाद दोनों गुटों के बीच बढ़ी तल्खी विवाद में बदलती गई। दोनों एक-दूसरे को नहीं सुहाये। आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे। देख लेने की धमकियाँ देने के आरोप मढ़े।

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बीती 17 मार्च को दोनों गुटों के बीच खुला टकराव हो गया। एक-दूसरे के ख़िलाफ़ एफ़आईआर के साथ मामला कोर्ट-कचहरी में पहुँच गया।

छह साल के लिए पार्टी से निकाला है पटेल को

दिग्विजय सिंह के खास समर्थक कांतिलाल भूरिया से मारपीट और हमले की घटना के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने महेश पटेल और मारपीट में लिप्त रहे अन्य कांग्रेसियों को पार्टी की सदस्यता से छह सालों के लिए निष्कासित कर दिया है।

पीसीसी के एक्शन के बाद भूरिया और पटेल के मध्य अदावत काफी बढ़ गई है। भूरिया समर्थक दावा कर रहे हैं कि पटेल बीजेपी की गोद में जा बैठे हैं। केवल सदस्यता भर लेना बाक़ी बचा है।

भूरिया समर्थक यह भी आरोप लगा रहे हैं कि सरकार के इशारे पर पुलिस पूरे मामले को तूल दिए हुए है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और उनके पुत्र के गिरफ्तारी जैसे हालात पैदा किए जा रहे हैं।

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संजीव श्रीवास्तव
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