कहावत है, ‘सैयां भये कोतवाल तो डर काहे का’ इस उक्ति को ‘रंगदारी’ करने वाले ‘चरितार्थ’ करते रहते हैं। रंगदार यदि नेता हो और वह भी सत्तारूढ़ दल से जुड़ा, तो फिर मसला करेला और नीम चढ़ा वाला भी हो जाता है। शुक्रवार को मध्य प्रदेश की महाकाल नगरी उज्जैन में चौंकाने वाला ऐसा ही एक भयावह घटनाक्रम हुआ, जिसने प्रशासन के होश भी फाख्ता कर दिए।