मध्य प्रदेश में BLO सहायकों की सूची में BJP-RSS से जुड़े लोगों के नाम सामने आने पर विवाद तेज़ हो गया। विपक्ष ने चुनावी निष्पक्षता पर सवाल उठाए, जबकि DM ने इस चूक को मानते हुए सुधार की बात कही।
एसआईआर प्रक्रिया। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
क्या मतदाता सूची के एसआईआर यानी विशेष गहन पुनरीक्षण में बीजेपी-आरएसएस से जुड़े लोग शामिल हैं? कम से कम मध्य प्रदेश के दतिया ज़िले में तो इसको लेकर बवाल हो गया है। एसआईआर अभियान के दौरान बूथ लेवल ऑफिसर यानी बीएलओ के सहायक के रूप में बीजेपी और आरएसएस से जुड़े लोगों की नियुक्ति का मामला तूल पकड़ गया है। जिला प्रशासन ने इसे 'अनजाने में हुई गलती' बताते हुए विवादित नामों को हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन विपक्षी कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
दतिया विधानसभा क्षेत्र में एसआईआर के लिए बीएलओ सहायकों की सूची जारी की गई थी। इस सूची में कम से कम चार ऐसे नाम शामिल थे जिनके बारे में दावा किया जा रहा है कि वे बीजेपी या आरएसएस से जुड़े हुए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस आधिकारिक सूची की कॉपी सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा, 'संवैधानिक प्रक्रिया तक को सत्ता पक्ष रंगने पर तुला है। जब सत्ताधारी पार्टी हर संस्थान को भगवा रंग में रंगने लगे तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाता है।'
पटवारी ने कहा, 'चुनाव आयोग के बाद अब प्रशासन भी सत्ता और संगठन की खुली कठपुतली की तरह नाचता दिखाई दे रहा है! दतिया कलेक्टर ने एसआईआर के नाम पर बीएलओ के सहयोगी बनाकर जो आधिकारिक आदेश जारी किया है उसमें पूर्व मंडल अध्यक्ष सहित कई बीजेपी पदाधिकारियों की नियुक्ति सत्ता के दबाव की सबसे बेहूदी मिसाल है!'
उन्होंने आगे कहा, "बीजेपी सरकार एसआईआर को 'संवैधानिक प्रक्रिया' बताती है, लेकिन असलियत यह है कि हर संवैधानिक व्यवस्था को भी पार्टी का एजेंडा लागू करने का साधन बना दिया गया है! एसआईआर को बीजेपी के रंग में रंगने की यह कोशिश लोकतंत्र का अपमान है! भाजपा की इस चाल को कांग्रेस कामयाब नहीं होने देगी! हम प्रत्येक मतदाता के अधिकार को संरक्षण देने के लिए सजग है!"
जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि कम से कम चार नियुक्त व्यक्ति बीजेपी के पदाधिकारी या सक्रिय कार्यकर्ता हैं। उन्होंने दतिया जिले में बीएलओ और उनके सहायकों की जारी की गई सूची में इन चार लोगों का निशान लगाकर मामले को सामने रखा है।
जिला कलेक्टर ने मानी ग़लती
दतिया के जिलाधिकारी स्वप्निल वानखेड़े ने पीटीआई से बातचीत में स्वीकार किया कि तीन राजनीतिक रूप से संबद्ध व्यक्तियों के नाम 'गलती से' सूची में शामिल हो गए। उन्होंने कहा, “मैंने यह आदेश जारी नहीं किया था। यह आदेश दतिया विधानसभा के एसडीएम ने जारी किया। एसडीएम को विभिन्न विभागों से सहायकों के नाम मिले थे, उनमें तीन नाम गलती से जुड़ गए। इन तीनों को सूची से हटा दिया जा रहा है। इसमें कोई दुर्भावना नहीं थी। एसडीएम का भी ऐसा कोई इरादा नहीं था, पर ग़लती हुई है। हमने एसडीएम से स्पष्टीकरण मांगा है कि यह कैसे हुआ।'
आरोपियों का पक्ष
सूची में मनीष मिश्रा का नाम भी शामिल है। इन्हें जीतू पटवारी ने बीजेपी कार्यकर्ता बताया है। मनीष मिश्रा ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा, 'मैं बीजेपी में कोई पद नहीं रखता। हां, मैं छोटा-मोटा कार्यकर्ता जरूर हूं। प्रशासन ने इस विवाद को लेकर मुझसे अभी तक कोई संपर्क नहीं किया है।' एक अन्य नाम बॉबी राजा ने भी आरोपों से इनकार किया। उन्होंने कहा, 'मैं न तो बीजेपी से हूं और न ही आरएसएस से। एसआईआर में मदद करने के लिए मुझे बीएलओ सहायक बनाया गया था। प्रशासन की ओर से मुझे अभी तक कोई सूचना नहीं मिली है।' सूची में शामिल बाकी दो व्यक्तियों से संपर्क नहीं हो सका।कांग्रेस का हमला
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसे चुनावी प्रक्रिया में दखलअंदाजी करार देते हुए कहा कि बीजेपी हर संस्था को अपने रंग में रंग रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि कांग्रेस मतदाता सूची में किसी भी तरह की छेड़छाड़ का पुरजोर विरोध करेगी।
बीजेपी का जवाब
बीजेपी प्रवक्ता शिवम शुक्ला ने मामले को कमतर आँकते हुए कहा, 'एसआईआर पूरे देश में बड़े पैमाने पर हो रहा है। इसमें कुछ तकनीकी या मानवीय त्रुटियां हो सकती हैं। अगर किसी को कोई शिकायत है तो वह शपथ-पत्र देकर चुनाव आयोग से संपर्क कर सकता है। बीजेपी का मानना है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी होनी चाहिए।'
क्या कार्रवाई हुई?
जिला प्रशासन ने विवादित नामों को तत्काल हटाने के आदेश दे दिए हैं और एसडीएम से लिखित स्पष्टीकरण मांगा गया है। चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार बीएलओ सहायकों की नियुक्ति में किसी भी राजनीतिक व्यक्ति को शामिल नहीं किया जा सकता। कांग्रेस ने इस मामले को चुनाव आयोग तक ले जाने के संकेत दिए हैं। मामला अभी थमा नहीं है और आने वाले दिनों में यह मध्यप्रदेश की राजनीति में गरमा सकता है।