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एमपी: मंत्री के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी क्वारेंटीन क्यों नहीं हुए शिवराज?

मध्य प्रदेश में भी जमकर कहर बरपा रहे कोरोना ने शिवराज काबीना के एक वरिष्ठ सदस्य को अपनी चपेट में ले लिया है। मंत्री के ‘कोविड-19’ ग्रस्त निकलने से सरकार और मशीनरी के अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और पार्टी के नेता-कार्यकर्ता खासे सकते में हैं। इसके बाद कुछ ने एहतियातन नमूने देकर अपने टेस्ट कराये हैं।

शिवराज सरकार में हाल ही में मंत्री बनाये गये अरविंद भदौरिया को कोरोना हुआ है। बुधवार रात साढ़े बारह बजे उनकी रिपोर्ट पाॅजिटिव आयी तो हड़कंप मच गया। रिपोर्ट आते ही वे हॉस्पिटलाइज्ड हो गये हैं।

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सहकारिता विभाग का दायित्व संभाल रहे भदौरिया ने वीडियो अपील जारी करते हुए खुद के कोरोनाग्रस्त होने की सूचना दी है। उन्होंने वीडियो अपील में कहा है कि उन्हें गले में मामूली ख़राश थी। कोरोना की जांच करायी तो रिपोर्ट पाॅजिटिव आयी। भदौरिया ने अपील में कहा है कि उनके संपर्क में रहे लोग एहतियात बरतते हुए अपना कोरोना टेस्ट करा लें।  

भदौरिया के कोरोनाग्रस्त होने से हड़कंप मचने की बड़ी वजह उनकी अत्याधिक सक्रियता और लोगों से खुलकर मिलने की प्रवृत्ति को माना जा रहा है।

अरविंद भदौरिया बुधवार को हुई शिवराज कैबिनेट की बैठक में मौजूद रहे थे। मुख्यमंत्री से उनकी वन-टू-वन चर्चा हुई थी। इसके अलावा उन्होंने विभाग से जुड़े अधिकारियों की बैठकें ली थीं। वे संगठन के नेताओं और कार्यकर्ताओं से भी मिले-जुले थे।

भदौरिया दो दिन पहले उत्तर प्रदेश गये थे। मध्य प्रदेश के दिवंगत राज्यपाल लालजी टंडन की अंत्येष्टि में वे शामिल हुए थे। टंडन के परिजनों को उन्होंने सांत्वना दी थी। वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और अन्य लीडरों के साथ राजकीय विमान से यूपी गये और लौटे थे।

आरएसएस पदाधिकारियों से भी मिले 

भदौरिया भोपाल में चल रहे आरएसएस के अभ्यास वर्ग में भी पहुंचे। मंत्रियों को मुलाकात के लिए यहां बुलाया गया था। संघ प्रमुख मोहन भागवत से लेकर अन्य कई बड़े लीडर आयोजन में शिरकत कर रहे हैं।

भोपाल में संघ के कुछ स्वयं सेवकों और पदाधिकारियों को भी कोरोना हुआ है। संघ में इसे लेकर पहले से ही चिंता थी। अरविंद भदौरिया के कोरोनाग्रस्त पाये जाने से संघ नेता ज्यादा चिंतित हो गये हैं।

मध्य प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी के वे लोग भी खासे चिंतित हैं, जिन्होंने हाल ही में भदौरिया से मेल-मुलाकातें और बैठकों में हिस्सेदारी की थी। शिवराज काबीना के वे सदस्य भी भयभीत हैं जिनकी भदौरिया से वन-टू-वन चर्चाएं और मुलाकातें हुई हैं और कैबिनेट बैठक में भदौरिया के आसपास बने रहे थे।

कोरोना प्रोटोकाॅल का पालन नहीं!

कोरोना पाॅजिटिव पाये जाने वाले के संपर्क में आये लोगों को लेकर प्रोटोकाॅल है कि संक्रमित के संपर्क में आने वाले को सबसे पहले अपना टेस्ट कराना चाहिए और रिपोर्ट आने तक ऐसे व्यक्ति को क्वारेंटीन हो जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और उनके काबीना सहयोगी बुधवार को सीधे तौर पर भदौरिया के संपर्क में आये थे। मगर कोई भी क्वारेंटीन नहीं हुआ। मुख्यमंत्री और मंत्रीगण रूटीन बैठकें लेते रहे। लोगों से मिलते-जुलते रहे। भदौरिया के संपर्क में आये अफसरों में भी किसी के क्वारेंटीन होने की सूचना गुरूवार शाम तक नहीं आयी। आरएसएस और बीजेपी संगठन से जुड़े पदाधिकारी और कार्यकता भी बिंदास बैठकें करते रहे।

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सरकार गिराने में रही भूमिका

बता दें, भदौरिया मूलतः अच्छे संगठक हैं। वे लंबे वक्त से मप्र बीजेपी में संगठन में ही अधिकांशतः सक्रिय रहे हैं। कमल नाथ की सरकार गिराने में उनकी भूमिका बेहद अहम रही थी। पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस के एक के बाद एक चार विधायक टूटे हैं। इन विधायकों का पाला बदलवाने में भी उन्होंने अहम रोल अदा किया है। 

कांग्रेस छोड़ रहे विधायक

खंडवा जिले के एक विधायक ताराचंद पटेल ने तो गुरूवार को ही कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफा दिया है। पटेल बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। ख़बर है कि पटेल को तोड़ने में भदौरिया की ही भूमिका रही है। पिछले सप्ताह उन्होंने नेपानगर की कांग्रेस विधायक को तोड़ा था और बीजेपी ज्वाइन कराई थी। इसके अलावा गुरूवार को ही मंधाता से कांग्रेस विधायक नारायण पटेल ने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। 

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संजीव श्रीवास्तव
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