राष्ट्रीय स्वयं संघ से जुड़ा भारतीय किसान संघ और मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार फिर आमने-सामने हैं। काफी वक्त से संघ और सरकार के बीच शह एवं मात का खेल चल रहा है। दो दिन पहले सरकार और संघ के बीच वार्ता हुई थी। खबर आयी थी, ‘संघर्ष विराम’ हो गया है, लेकिन बात, एक बार फिर अल्टीमेटम तक पहुंच गई है।
मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की मोहन यादव अगुवाई वाली सरकार, इस साल के आरंभ में लैंड पूलिंग एक्ट लेकर आयी थी। इस एक्ट के तहत, सरकार किसी भी जमीन का अधिग्रहण, सशर्त कर सकती है। एक्ट आने के बाद से इसका प्रदेश भर में विरोध हो रहा है। सबसे तीखा विरोध उज्जैन में चल रहा है। मुख्यमंत्री मोहन यादव उज्जैन से ही लगातार तीसरी बार विधायक हैं। वे उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी रहे हैं। एक्ट का विस्तार करते हुए, सिंहस्थ 2028 हेतु जमीन अधिग्रहण करने संबंधी उज्जैन विकास प्राधिकरण और जिला मजिस्ट्रेट को कई अतिरिक्त अधिकार भी दिए गए हैं।
किसानों की जमीनों के अधिग्रहण के विरोध में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ा भारतीय किसान महासंघ एक्शन में है। किसान संघ का आरोप है कि सिंहस्थ के नाम पर उज्जैन में 17 गावों के किसानों की हजारों हैक्टेयर जमीन जबरिया हथियायी जा रही है। उज्जैन में साल 2028 में सिंहस्थ का आयोजन है।
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राज्य की सरकार इसकी तैयारियों में जुटी हई है। सरकार की मंशा सिंहस्थ क्षेत्र में कई प्रकार के स्थायी निर्माणों की है। इसी के मद्दनजर बीते काफी वक्त से जमीनों का अधिग्रहण किया गया है। टकराव का आलम ये रहा है कि किसानों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया है। अपनी ही सरकार के खिलाफ रैलियां निकालीं हैं। शहर के उन हिस्सों को सरकार विरोधी नारे-बैनर वाले तख्तियां-पोस्टरों से पाटा गया। सरकार मुर्दाबाद के नारे भी लगाये।

दो बड़े नेता खुलकर मैदान में उतरे 

भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय सचिव मोहिनी मोहन मिश्र और अन्य राष्ट्रीय पदाधिकारी कुलकर्णी दिनेश कुलकर्णी बीते महीनों में उज्जैन पहुंचे। आंदोलन की अगुवाई की। मोहिनी मिश्र ने तो खुले आम अनेक आरोप मढ़ते हुए, ये तक कह दिया, ‘मोहन यादव, केन्द्रीय गृहमंत्री के नाम का दुरूपयोग कर रहे हैं।’ मिश्रा ने यह भी कहा, ‘किसान यदि सरकार बनवाना जानता है तो सरकार को हटाना भी जानता है।’ ऐसे ही तेवर दिनेश कुलकर्णी ने दिखाये।

अमित शाह के दरबार में भी पहुंचा मामला 

लैंड पुलिस एक्ट से जुड़ा मसला केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दरबार में भी पहुंचा था। बीते माह, आंदोलनकारियों और मध्य प्रदेश सरकार के साथ शाह की बाकायदा एक साझा बैठक भी हुई थी। बैठक में तमाम बातें होने। जवाब-तलब होने के बाद भी मसले का हल नहीं निकल पाया था।

दो दिन पहले सुलह, फिर बात क्यों बिगड़ी 

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोमवार 17 नवंबर को आंदोलनकारी किसानों के साथ एक बैठक की थी। यहां बता दें, मंगलवार 18 नवंबर से किसानों ने ‘डेरा डालो-घेरा डालो’ आंदोलन का एलान किया था। उज्जैन में होने वाले इस आंदोलन के लिए किसानों के जुटने का सिलसिला आरंभ हो गया था।
उज्जैन के अलावा इंदौर संभाग के भी किसानों के जुटने की सूचना से सरकार के हाथ-पैर फूल रहे थे। इसी सबके बीच 17 नवंबर को उज्जैन के किसानों को मुख्यमंत्री निवास भोपाल बुलाया गया था। बैठक हुई थी। बैठक में मुख्यमंत्री के अलावा मप्र भाजपा के अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल और मुख्य सचिव अनुराग जैन भी मौजूद रहे थे।
मुख्यमंत्री द्वारा एक्ट वापस लेने की घोषणा मीडिया के समक्ष की गई थी। एलान के बाद आंदोलन वापस लेने का एलान कर दिया गया था। खुशियां मनाई गईं थी। उज्जैन में तो किसानों ने रैली तक निकाल डाली थी। मंगलवार दोपहर बाद सरकार का आदेश आया तो किसान भड़क गए। भारतीय किसान संघ के मध्य प्रदेश के अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने आरोप लगाया, ‘मुख्यमंत्री ने भरोसा कुछ दिलाया और आदेश इससे ठीक उलट जारी हुए।’

आंजना ने कहा - हमने तीन मांगें रखीं थीं, ‘एक - एक्ट पूर्णतः वापस हो, दो - सिंहस्थ का आयोजन पूर्व की भांति हो और तीन - आंदोलनरत किसानों पर बेफिजूल लादे गए मुकदमे सरकार वापस ले।’ बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने एलान किया था, ‘लैंड पूलिंग एक्ट वापस होगा। सिंहस्थ के काम अब सबकी सहमति से होंगे।’

किसानों को फंसाने का आरोप 

सरकार के ताजा आदेश के बाद किसान संघ ने आरोप लगाया, ‘जो संशोधन किए गए हैं, वे किसानों को फंसाने और उलझाने वाले हैं।’ संघ ने कहा, समझौता वार्ता के अनुसार लैंड पूलिंग एक्ट से जुड़े संशोधन आदेश में स्कीम 8, 9, 10 और 11 खत्म करके धारा 50 (क) को निरस्त करना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। एक्ट पूरी तरह से खत्म होना चाहिए। संघ ने संशोधन आदेश के अंतर्गत टीएनसीपी की धारा 50, 12 (क) को भी नामंजूर किया।
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किसान संघ के मध्य प्रदेश के अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘दिल्ली बात पहुंचा दी गई है। नेतृत्व केन्द्र के टच में है।’ उन्होंने कहा, ‘कुल 48 घंटों का अल्टीमेटम मध्य प्रदेश की सरकार को दिया गया है। यदि बात नहीं बनीं तो पूर्व घोषित आंदोलन आरंभ कर दिया जायेगा। किसान उज्जैन में जुटे हुए हैं। पूरे मसले पर सरकार की और से कोई नई प्रतिक्रिया अभी सामने नहीं आयी है। टकराव बढ़ता नजर आ रहा है।