मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह द्वारा महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों के बाद बीजेपी और शिव सेना में खुलकर जंग हो रही है। महाराष्ट्र बीजेपी के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिला और उसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव सरकार पर हमले किए। लेकिन सरकार की तरफ से शिव सेना सांसद संजय राउत मैदान में उतरे और बीजेपी को जवाब दिया।
राज्यपाल से मिलने के बाद फडणवीस ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि महाराष्ट्र में पैसे उगाहने से लेकर ट्रांसफ़र-पोस्टिंग की घटनाओं को लेकर सबसे आश्चर्य की बात यह है कि मुख्यमंत्री मौन हैं। उन्होंने कहा कि सरकार कोरोना से नहीं निपट पा रही है। फडणवीस ने कहा कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने गृह मंत्री अनिल देशमुख को बचाने का काम किया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्धव ठाकरे इस मामले में जांच का आदेश देना ही नहीं चाहते।
महाराष्ट्र के सियासी हालात पर देखिए चर्चा-
राउत आए सामने
इसके तुरंत बाद संजय राउत सामने आए और कहा कि उत्तर प्रदेश के एक आईपीएस वैभव कृष्ण ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा था और उसमें अफ़सरों की पोस्टिंग का पूरा रेट कार्ड दिया था कि कौन सी पोस्ट पर आने के लिए कितना पैसा देना है।
राउत ने कहा कि उद्धव ठाकरे और अनिल देशमुख चाहते हैं कि इस मामले की जांच हो लेकिन इसके लिए फडणवीस को एक प्रस्ताव लेकर मुख्यमंत्री से मिलकर इसकी मांग करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिस महाराष्ट्र का स्वाभिमान है और एक-दो अफसरों की ग़लती से पूरे पुलिस फ़ोर्स को दोषी नहीं ठहरा सकते। राउत ने कहा कि फडणवीस का यह लेटर बम फुस्स हो गया है।
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इस पर फडणवीस ने कहा कि केंद्रीय गृह सचिव को जो रिपोर्ट दी गई है, वह अगर छोटी बात है तो सरकार ने ट्रांसफ़र-पोस्टिंग वाली रिपोर्ट को छुपाकर क्यों रखा था।
फडणवीस ने मंगलवार को मुंबई में ट्रांसफर-पोस्टिंग के गोरखधंधे के चलने का दावा किया था। उन्होंने कहा था कि इंटेलिजेंस विभाग की कमिश्नर रश्मि शुक्ला ने इस गोरखधंधे को ट्रैप किया था और ठाकरे सरकार को रिपोर्ट भेजी थी। फडणवीस ने कहा था कि ठाकरे सरकार ने आरोपियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के बजाय उन्हें उनकी मनमाफिक पोस्टिंग और ट्रांसफर दे दिया।
राज्यपाल-सरकार के रिश्ते
महाराष्ट्र में उद्धव सरकार और राज्यपाल कोश्यारी के बीच रिश्ते कितने मधुर हैं, यह बताने की ज़रूरत नहीं है। ऐसे में इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि राज्यपाल महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की सिफ़ारिश कर सकते हैं। हालांकि ऐसा करना उनके लिए आसान नहीं होगा क्योंकि महा विकास आघाडी में शामिल दल इसे राजनीतिक मुद्दा बना लेंगे। संजय राउत इसे लेकर बीजेपी को चेता भी चुके हैं।
जब से महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी की सरकार बनी है, बीजेपी लगातार कोशिश कर उसे सत्ता से हटाना चाहती है। बीजेपी के नेता कई बार बयान दे चुके हैं कि राज्य में जल्द ही बीजेपी की सरकार बनेगी। केंद्रीय जांच एजेंसियों की महाराष्ट्र में सक्रियता को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं।
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