केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने मुंबई बीएमसी चुनावों के लिए महायुति गठबंधन के सीट बंटवारे समझौते से आरपीआई (ए) को बाहर रखे जाने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने इसे विश्वासघात करार दिया।
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले
केंद्रीय मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) के नेता रामदास अठावले ने मंगलवार को मुंबई महापालिका (बीएमसी) चुनावों के लिए भाजपा और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के बीच हुए सीट शेयरिंग समझौते से अपनी पार्टी को बाहर रखे जाने को "विश्वासघात" करार दिया। महायुति की जंग अब खुलकर सामने आ गई है। इससे पहले एनसीपी अजित पवार भी महायुति से अलग होकर बीएमसी चुनाव लड़ रही है।
इस बारे में एक्स पर पोस्ट करते हुए अठावले ने कहा, "महायुति के गठन के बाद से हमने गठबंधन के साथ पूरी ईमानदारी और दृढ़ता से साथ दिया है। लेकिन आज (मंगलवार) सीट शेयरिंग को लेकर जो हुआ, वह विश्वासघात के सिवा कुछ नहीं है।" उन्होंने आरोप लगाया कि सोमवार को दोपहर 4 बजे चर्चा के लिए बैठक तय थी, लेकिन गठबंधन सहयोगियों ने इस प्रतिबद्धता का सम्मान नहीं किया।
अठावले ने आगे लिखा, "यह सिर्फ समय की बर्बादी नहीं, बल्कि हमारे आत्मसम्मान पर हमला है। मुंबई महापालिका चुनाव नजदीक हैं, मैं अपनी पार्टी कार्यकर्ताओं का यह अपमान बर्दाश्त नहीं करूंगा। इसलिए आज मेरे कार्यकर्ता जो भी फैसला लेंगे, उन्हें मेरा पूरा समर्थन होगा।"
सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के सहयोगी भाजपा और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने सोमवार को बीएमसी चुनावों के लिए सीट शेयरिंग का ऐलान किया, जिसमें भाजपा 137 सीटों पर और शिवसेना 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस समझौते में आरपीआई(ए) को कोई जगह नहीं मिली, जिस पर अठावले ने तीव्र नाराजगी जताई है।
अठावले ने सिर्फ 16 सीटें मांगी थीं
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने अभी सोमवार को एएनआई से कहा था- "... हमारी अपेक्षा है कि हमें 16 सीट मिलनी चाहिए... मुंबई शहर में मराठी लोगों की आबादी 40% है और गैर मराठी करीब 60% हैं। मराठी लोगों में 50% से ज्यादा वोट हमें मिलेंगे... कांग्रेस पार्टी और वंचित बहुजन एक साथ आए हैं तो महा विकास अघाड़ी के वोटों में फूट पड़ जाएगी और इसका फायदा महायुति के उम्मीदवारों को होगा... प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा विकास की भूमिका रखी है। उनके कार्यकाल में देश में काफी विकास हुआ है... माहौल के मुताबिक महायुति को ही सत्ता में आना चाहिए। यहां का महापौर महायुति का ही बनेगा।" सोमवार को अठावले के इस बयान से ज़रा भी मतभेद का संकेत नहीं था। लेकिन मंगलवार को उन्होंने खुलकर बयान दिया और बीजेपी पर धोखाधड़ी का आरोप लगा दिया।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, आरपीआई(ए) के उम्मीदवार 50 सीटों पर नामांकन दाखिल करेंगे। एक पार्टी सूत्र ने कहा, "नामांकन वापस लेने में अभी समय है। देखते हैं कि सम्मानजनक चर्चा होती है या नहीं और नामांकन वापस लेने या मैत्रीपूर्ण लड़ाई का फैसला होता है। तब तक हम अकेले लड़ रहे हैं और 50 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।"
गौरतलब है कि महायुति गठबंधन का एक अन्य घटक अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी भी बीएमसी चुनाव अलग से लड़ रही है। महाराष्ट्र में 29 नगर निगमों के लिए 15 जनवरी को होने वाले चुनावों के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि मंगलवार है। हालांकि बीजेपी और शिंदे की शिवसेना ने बीएमसी की सीटों पर समझौते करते हुए ऐलान किया था कि महायुति की छोटी पार्टियों को टिकट इन दोनों दलों के कोटे से दिए जाएंगे। यही बात केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले को बुरी लगी है।