महाराष्ट्र में एमवीए की एकता को बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस ने आगामी बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनाव स्वतंत्र लड़ने की घोषणा की है। शिवसेना (यूबीटी) ने जवाब में कहा कि वे इसका मुकाबला करने के लिए तैयार हैं।
मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों को लेकर महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में चल रही अटकलों का कांग्रेस ने शनिवार को अंत कर दिया। कांग्रेस ने शनिवार को स्पष्ट घोषणा की कि वह आगामी बीएमसी चुनाव अकेले अपने दम पर लड़ेगी। महाराष्ट्र कांग्रेस प्रभारी रमेश चेन्निथला ने मुंबई में कहा, “हम भाजपा के खिलाफ लड़ेंगे, हम शिवसेना उद्धव गुट के खिलाफ भी लड़ेंगे। हम सभी धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक मुंबईकरों से अपील करते हैं कि वे हमारा समर्थन करें।”
यह घोषणा उस समय हुई है जब कांग्रेस उद्धव ठाकरे की उनके चचेरे भाई और एमएनएस नेता राज ठाकरे से बढ़ती निकटता पर लगातार नाराजगी जता रही है।
कांग्रेस के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता अंबादास दानवे ने कहा कि उनकी पार्टी भाजपा और एकनाथ शिंदे के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार है। “हम दोनों के खिलाफ एक साथ लड़ना चाहते थे। लेकिन अगर कोई हमसे लड़ना चाहता है, तो हम भी उनसे लड़ेंगे।”
एनसीपी (शरद पवार गुट) की नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि कांग्रेस का कोई आधिकारिक संवाद उनकी पार्टी तक नहीं पहुंचा है। “हम उनसे बात करेंगे। स्थानीय नेताओं से चर्चा कर फैसला लेंगे।” इससे पहले शिवसेना (उद्धव) के नेता संजय राउत ने शरद पवार से कांग्रेस को एमवीए के साथ बीएमसी चुनाव लड़ने के लिए मनाने की अपील की थी।
रमेश चेन्निथला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हम एमवीए के साथ विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़े हैं। लेकिन ये स्थानीय निकाय चुनाव हैं। हमारे स्थानीय कार्यकर्ता इसे चाहते हैं। हमने उन्हें अनुमति दे दी है। हम अपना घोषणा-पत्र तैयार कर रहे हैं। मुंबई में भ्रष्टाचार है, कोई काम नहीं हो रहा। इसके लिए जिम्मेदार कौन है, सब जानते हैं। मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी है। पिछले चार सालों में चुनाव नहीं हुए।”
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद देते हुए कहा कि चुनाव कोर्ट के आदेश से ही हो रहे हैं। “सरकार सीधे बीएमसी चला रही है और हर चीज में हस्तक्षेप कर रही है। हम भाजपा और शिवसेना (उद्धव) के खिलाफ लड़ेंगे। सभी धर्मनिरपेक्ष और देशभक्तों को कांग्रेस को मजबूत करना चाहिए।”
कांग्रेस नेताओं ने बताया कि पार्टी सभी 227 सीटों पर उम्मीदवार उतार रही है और स्क्रीनिंग कमिटी गठित की गई है, जो दो दिनों में उम्मीदवारों को अंतिम रूप देगी। पार्टी ने उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की निकटता पर कहा कि उसकी मूल विचारधारा समाज में नफरत फैलाने वाली विभाजनकारी ताकतों से हाथ मिलाने की अनुमति नहीं देती।
शिवसेना (उद्धव) कांग्रेस को साथ लेकर चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस नाराज थी क्योंकि उसे राज ठाकरे से समझौते में विश्वास में नहीं लिया गया। एनसीपी (शरद पवार) की बीएमसी में कम दिलचस्पी है। परंपरागत रूप से कांग्रेस और शिवसेना-भाजपा मुंबई में एक-दूसरे के खिलाफ लड़ते रहे हैं। इस बार भाजपा-शिंदे शिवसेना साथ लड़ेंगे, जबकि शिवसेना (उद्धव) एमएनएस से गठबंधन कर सकती है, जिसकी जमीनी ताकत कम है।
यह घटनाक्रम महाराष्ट्र की राजनीति में एमवीए की एकता पर सवाल खड़े कर रहा है, खासकर मुंबई जैसे महत्वपूर्ण निकाय चुनाव में। हालांकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव एमवीए दलों ने मिलकर लड़ा था और उसके बेहतर नतीजे आए थे। लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव में सारी एकता टूट गई है।