Maharashtra Farmers Protest: महाराष्ट्र में फसल नुकसान, कर्ज़ माफ़ी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर किसानों का भारी विरोध जारी है। महा एल्गार मोर्चा ने NH-44 की नाकाबंदी की तो हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप किया। फडणवीस सरकार ने किसान नेताओं को बातचीत के लिए बुला लिया है।
महाराष्ट्र के किसानों को फिर से आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ा।
महाराष्ट्र में किसानों का आक्रोश लगातार बढ़ रहा है। पूर्व विधायक बच्चू कडू के नेतृत्व में 'महा-एल्गार मोर्चा' ने नागपुर-हैदराबाद राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) की नाकाबंदी कर दी। जिससे ट्रैफिक थम गया। इस आंदोलन को राजू शेट्टी की पार्टी, किसान सभा और एनसीपी (शरद पवार गुट) का समर्थन प्राप्त है।
किसानों की नाकाबंदी से हाहाकार मच गया। बुधवार को महाराष्ट्र के नेता, जज, पत्रकार, कामकाजी लोग इस जाम को दो घंटे भी नहीं झेल पाए। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसमें दखल दिया। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए बुधवार को प्रदर्शनकारियों को शाम 6 बजे तक हाईवे खाली करने का निर्देश दिया, क्योंकि जाम से एम्बुलेंस और आवश्यक सेवाओं में बाधा आ रही थी। इसके बाद शाम को राज्य सरकार की ओर से मंत्री पंकज भोयर और आशीष जायसवाल धरना स्थल पर पहुंचे और किसान नेताओं से मुंबई में मुख्यमंत्री के साथ बातचीत करने का आग्रह किया। जिसे किसान नेताओं ने स्वीकार कर लिया।
किसान नेता बच्चू कडू ने क्या कहा
बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के निर्देश पर एनएच 44 हाईवे से हटने के बाद, बच्चू कडू और किसान नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार सुबह मुंबई के लिए रवाना हुआ। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य मुख्यमंत्री फडणवीस के साथ किसानों की प्रमुख मांगों, विशेष रूप से पूर्ण कृषि ऋण माफी की तारीख, पर सीधा संवाद करना है। कडू ने रवाना होने से पहले स्पष्ट कर दिया कि अगर बातचीत पॉजिटिव नहीं रही और कर्ज माफी की कोई निश्चित घोषणा नहीं हुई, तो आंदोलन जारी रहेगा और 31 अक्टूबर को 'रेल रोको' आंदोलन शुरू किया जा सकता है।
आंदोलन खत्म नहीं हुआ है
बॉम्बे हाई कोर्ट के स्वतः संज्ञान लेने और हाईवे खाली करने के निर्देश के बाद, प्रदर्शनकारी नागपुर-वर्धा राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) से हटकर पास के एक मैदान में चले गए हैं। हालांकि, किसान नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि आंदोलन समाप्त नहीं हुआ है, बल्कि बातचीत के लिए एक अस्थायी विराम लिया गया है। किसानों का एक बड़ा समूह अभी भी नागपुर में मौजूद है।किसानों की मुख्य मांगें हैं
- पूरा कृषि ऋण माफ किया जाए। यह प्रमुख मांग है।
- बेमौसम बारिश से हुए फसल नुकसान का तत्काल मुआवजा दिया जाए
- फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा की जाए
- दिव्यांगों के लिए ₹6,000 मासिक भत्ता घोषित किया जाए।
महाराष्ट्र के किसान क्यों बेचैन हैं
बेमौसम भारी बारिश के कारण हुए नुकसान के चलते लातूर के किसान सुरेश चौहान की तस्वीरें वायरल हुईं, जिनमें वे अपनी बर्बाद हुई सोयाबीन की फसल देखकर फूट-फूट कर रोते नजर आए। उन्होंने शिकायत की कि वित्तीय सहायता के वितरण में देरी के कारण कई परिवार दीवाली नहीं मना पाए। शुरुआती आकलन के अनुसार, बेमौसम बारिश से राज्य के लगभग 29 जिलों में 68 लाख हेक्टेयर से अधिक फसलें तबाह हुई हैं।
मनोज जरांगे भी आंदोलन में शामिल हुए
मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख चेहरे मनोज जरांगे पाटिल ने गुरुवार को नागपुर में किसान आंदोलन (महा-एल्गार मोर्चा) में शामिल होने का ऐलान किया। उनके इस कदम से आंदोलन को और बल मिला है और यह किसानों के बीच सामाजिक एकता का प्रतीक बन गया है। जरांगे के जुड़ने से सरकार पर दबाव और बढ़ गया है।फडणवीस सरकार की लीपापोती
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि सरकार किसानों के मुद्दों पर "सकारात्मक" रुख रखती है। उन्होंने आंदोलनकारियों से जनजीवन बाधित न करने और संवाद के लिए मुंबई आने की अपील की। सीएम फडणवीस ने यह भी दोहराया कि सरकार ने बेमौसम बारिश से प्रभावित किसानों के लिए ₹32,000 करोड़ के राहत पैकेज को बांटना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, "फिलहाल प्राथमिकता उन किसानों को राहत पहुंचाना है जिनकी जमीनें बह गई हैं, न कि केवल बैंकों को लाभ पहुंचाने वाली कर्ज माफी की घोषणा करना।" मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि सरकार ने कर्ज माफी पर विचार करने के लिए एक समिति का गठन किया है।