2008 के मालेगाँव बम विस्फोट मामले में सातों आरोपी के बरी होने के फ़ैसले को चुनौती देते हुए पीड़ितों के परिजनों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील दायर की है। हाईकोर्ट ने गुरुवार को राष्ट्रीय जाँच एजेंसी यानी एनआईए, पूर्व बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और अन्य बरी हुए आरोपियों को नोटिस जारी कर दिए हैं। यह नोटिस पूरी तरह पीड़ितों के परिजनों की कोशिश से संभव हुआ। वे लगातार इसके लिए जूझ रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार ने इसके लिए कोई अपील नहीं की है। लेकिन यही महाराष्ट्र सरकार 2006 के मुंबई ट्रेन ब्लास्ट में बरी किए गए आरोपियों के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गई है। कहा जा रहा है कि सरकार इसके लिए पूरी ताक़त लगा रही है।
मालेगाँव केस में सरकार नहीं, अपने दम पर लड़ रहे पीड़ित; ट्रेन ब्लास्ट केस में सरकार सक्रिय क्यों?
- महाराष्ट्र
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- 18 Sep, 2025
मालेगाँव ब्लास्ट पीड़ित आरोपियों को बरी किए जाने के ख़िलाफ़ खुद अपने दम पर केस लड़ रहे हैं जबकि ट्रेन ब्लास्ट मामले में सरकार पैरवी कर रही है। जानें इस दोहरे रवैये के पीछे की वजह और राजनीतिक असर।

मालेगांव ब्लास्ट कर्नल पुरोहित प्रज्ञा ठाकुर
तो बम ब्लास्ट के ही दो मामलों में सरकार का यह दोहरा रवैया क्यों? क्या इसका आरोपियों के धर्म से कुछ लेना देना है? ये सवाल इसलिए कि हाल ही में 2006 के मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले में बरी हुए लोगों के ख़िलाफ़ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की, लेकिन मालेगाँव मामले में एनआईए ने ऐसा कोई क़दम नहीं उठाया। विशेषज्ञों और राजनीतिक हलकों में अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या सरकार का यह रवैया दोहरा मापदंड नहीं दिखाता?