महाराष्ट्र की सत्ताधारी गठबंधन में दरार साफ नजर आ रही है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उनके उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच की खटास अब सार्वजनिक रूप से सामने आ गई है। पालघर जिले में चल रहे नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों के बीच शिंदे ने भाजपा पर अप्रत्यक्ष रूप से रावण का तमगा लगाते हुए तीखा प्रहार किया, तो फडणवीस ने राम भक्त बनकर जवाब दिया कि वे लंका जला देंगे। यह बयानबाजी गठबंधन के भीतर बढ़ते असंतोष को उजागर कर रही है।

शिंदे का रावण वाला तंज किस पर था 

शिवसेना (शिंदे गुट) प्रमुख एकनाथ शिंदे ने हाल ही में पालघर में अपनी पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार सभा में भाजपा पर निशाना साधा था। बिना नाम लिए उन्होंने कहा, "रावण भी घमंडी था, इसलिए उसकी लंका जल गई। आपको भी 2 दिसंबर (मतदान का दिन) को ऐसा ही करना है।" महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव हो रहे हैं। बीजेपी कई जगह पार्टी के निशान पर लड़ रही है। जबकि शरद पवार, अजित पवार, एकनाथ शिंदे ने कई नगर पंचायतों और नगर पालिकाओं में अपने-अपने उम्मीदवार उतारे हुए हैं।
शिंदे ने 'तानाशाही और घमंड' के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने दावा किया कि शिवसेना ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के दोनों धड़ों को एकजुट कर भाजपा को पालघर के स्थानीय निकाय चुनावों में कड़ी टक्कर दी है। यह बयान भाजपा की बढ़ती आक्रामकता के खिलाफ शिंदे की नाराजगी को बता रहा है।
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फडणवीस का पलटवार: 'हम राम के अनुयायी, लंका जला देंगे'

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे के इस तंज का तुरंत जवाब दिया। पालघर जिले के दाहाणू में भाजपा कार्यकर्ताओं की सभा को संबोधित करते हुए फडणवीस ने कहा, "जो हमारे बारे में बुरा बोलते हैं, उन्हें नजरअंदाज करें। वे कह सकते हैं कि वे हमारी लंका जला देंगे। लेकिन हम लंका में नहीं रहते। हम राम के अनुयायी हैं, न कि रावण के। चुनाव में ऐसी बातें होती हैं, इसे दिल पर न लें।"
फडणवीस ने अपनी पार्टी की धार्मिक छवि पर जोर देते हुए आगे कहा, "हम जय श्री राम का नारा लगाने वाले हैं। कल ही (मंगलवार) हमने अयोध्या के राम मंदिर में धर्म ध्वजा का अनावरण किया। हम भगवान राम की पूजा करने वाली पार्टी हैं; हम लंका जला देंगे।" यह बयान न केवल शिंदे के तंज का प्रत्यक्ष जवाब था, बल्कि भाजपा की हिंदुत्व वाली छवि को मजबूत करने का प्रयास भी दिखा।

कार्यकर्ता , दिग्गजों की होड़ और दिल्ली तक शिकायत

इस सार्वजनिक बयानबाजी की जड़ें गठबंधन के भीतर बढ़ते अविश्वास में हैं। हाल ही में भाजपा ने डोंबिवली-कल्याण क्षेत्र में शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे के करीबी पूर्व शिवसेना पार्षदों को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। इससे नाराज शिवसेना ने साप्ताहिक कैबिनेट बैठक का बहिष्कार कर दिया और फडणवीस से सीधे इस मुद्दे को उठाया। 
फडणवीस ने जवाब में कहा कि भाजपा तो शिवसेना का ही अनुसरण कर रही है, क्योंकि शिंदे गुट ने उल्हासनगर से भाजपा के कई कार्यकर्ताओं को अपनी पार्टी में शामिल किया था। लेकिन शिंदे इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने दिल्ली का रुख किया और भाजपा नेता व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से महाराष्ट्र भाजपा के आचरण पर शिकायत दर्ज कराई।
सूत्रों के अनुसार, यह घटनाक्रम गठबंधन की स्थिरता के लिए खतरा बन सकता है, खासकर आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए।राजनीतिक निहितार्थपालघर चुनाव भाजपा-शिवसेना गठबंधन की परीक्षा बन चुके हैं। शिंदे का यह आक्रोश न केवल स्थानीय स्तर पर सीमित है, बल्कि यह महाराष्ट्र विधानसभा में सत्ता के बंटवारे और सीटों के आवंटन को प्रभावित कर सकता है।
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फडणवीस सरकार पर दबाव बढ़ रहा है, जहां शिवसेना अपनी हिस्सेदारी मजबूत करने की कोशिश में लगी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद यदि सुलझा नहीं, तो गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े हो जाएंगे।