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शिंदे सरकार को सुप्रीम कोर्ट में झटका लेकिन सरकार बची रहेगी

सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने फैसले में कहा कि शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में बहाल नहीं किया जा सकता है क्योंकि उन्होंने फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना स्वेच्छा से पद से इस्तीफा दे दिया था। अदालत ने कहा कि तत्कालीन महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाने का फैसला, जिसने अंततः उद्धव-ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार को गिरा दिया, कानून के अनुसार नहीं था।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को अपना पद और अपनी सरकार बनाए रखने का मौका मिलेगा। 

सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे की सरकार को बहाल करने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया क्योंकि ठाकरे ने विधानसभा में शक्ति परीक्षण का सामना करने के बजाय इस्तीफा देना चुना था। 

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सुप्रीम कोर्ट ने आज के फैसले में महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर तीखी टिप्पणियां की हैं। अदालत ने तत्कालीन राज्यपाल कोश्यारी को  शिंदे गुट की मदद करने वाले फैसले लेने के लिए कड़ी निंदा करते हुए कहा कि उन्होंने यह निष्कर्ष निकालने में "गलती" की थी कि उद्धव ठाकरे ने विधायकों के बहुमत का समर्थन खो दिया था।

सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने गुरुवार सुबह शिवसेना में उद्धव ठाकरे-एकनाथ शिंदे गुट के विभाजन और उसके बाद 2022 में महाराष्ट्र में सरकार बदलने से उत्पन्न याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया। इस बेंच में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा हैं। 

सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले की खास बातें 

  • 2016 के नबाम रेबिया के फैसले पर एक बड़ी संविधान पीठ द्वारा विचार किया जाएगा

  • फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया, और इसलिए उनकी सरकार को बहाल नहीं किया जा सकता है

  • 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला स्पीकर करेंगे। स्पीकर पहले अयोग्यता कार्यवाही को स्थगित करने के लिए सक्षम हैं।

  • फ्लोर टेस्ट बुलाकर तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कानून के मुताबिक काम नहीं किया।

  • शिंदे का भरत गोगावाले को शिवसेना का मुख्य सचेतक नियुक्त करने का निर्णय अवैध था। केवल स्पीकर और राजनीतिक दल द्वारा चुने गए नेता ही व्हिप जारी कर सकते हैं।

  • स्पीकर और चुनाव आयोग अयोग्यता और चुनाव चिह्न विवाद पर निर्णय ले सकते हैं

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां बताती हैं कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार को गिराने के लिए कैसे-कैसे नियम तोड़े गए। अदालत ने व्हिप के मुद्दे पर अपनी बात की शुरुआत की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, स्पीकर को 3 जुलाई 2022 को विधायक दल में दो गुटों के बारे में पता था, क्योंकि दूसरे गुट ने नया सचेतक नियुक्त किया था। अदालत ने कहा- 

स्पीकर ने यह जानने का प्रयास नहीं किया कि इन दो व्यक्तियों में से कौन - प्रभु या गोगावाले राजनीतिक दल द्वारा अधिकृत सचेतक थे। स्पीकर को सिर्फ राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त सचेतक को ही पहचानना चाहिए।


- सुप्रीम कोर्ट संवैधानिक पीठ, 11 मई, 2023, सोर्सः लाइव लॉ

संविधान पीठ ने कहा कि कोई गुट या समूह यह तर्क नहीं दे सकता कि उन्होंने अयोग्यता की कार्यवाही के बचाव में मूल पार्टी का गठन किया था। बंटवारे का बचाव अब दसवीं अनुसूची के तहत उपलब्ध नहीं है और किसी भी बचाव को दसवीं अनुसूची के भीतर पाया जाना चाहिए क्योंकि यह वर्तमान में लागू है।

अदालत ने कहा कि राज्यपाल द्वारा विवेक का प्रयोग संविधान के अनुरूप नहीं था। अगर स्पीकर और सरकार अविश्वास प्रस्ताव को दरकिनार करते हैं, तो राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के बिना फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाना उचित होता। हालांकि, यह भी कहा गया कि जब देवेंद्र फडणवीस ने सरकार को लिखा तो विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा था। अदालत ने कहा- 

विपक्षी दलों ने कोई अविश्वास प्रस्ताव जारी नहीं किया। राज्यपाल के पास सरकार के विश्वास पर संदेह करने के लिए कोई खास सामग्री नहीं थी। राज्यपाल द्वारा भरोसा किए गए संकल्प ने यह संकेत नहीं दिया कि विधायक समर्थन वापस लेना चाहते हैं। अगर यह भी मान लिया जाए कि विधायक सरकार से बाहर निकलना चाहते थे, तो उन्होंने केवल एक गुट का गठन किया था।


- सुप्रीम कोर्ट संवैधानिक पीठ, 11 मई, 2023, सोर्सः लाइव लॉ

यह कहते हुए कि शक्ति परीक्षण का उपयोग आंतरिक पार्टी के विवादों को हल करने के लिए नहीं किया जा सकता है, संविधान पीठ ने कहा कि न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी या अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है। 

कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल ने जिन पत्रों पर भरोसा किया उनमें ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे यह संकेत मिले कि असंतुष्ट विधायक सरकार से समर्थन वापस लेना चाहते हैं। 

राज्यपाल ने शिवसेना के विधायकों के एक गुट के प्रस्ताव पर भरोसा करके निष्कर्ष निकाला कि उद्धव ठाकरे ने समर्थन खो दिया है। जबकि विधायकों द्वारा व्यक्त की गई सुरक्षा चिंताओं का सरकार के समर्थन पर कोई असर नहीं पड़ता। यह एक बाहरी विचार था जिस पर राज्यपाल ने भरोसा किया। राज्यपाल को पत्र पर भरोसा नहीं करना चाहिए था... किसी भी पत्र में यह इशारा नहीं था कि उद्धव ठाकरे ने समर्थन खो दिया। फडणवीस और 7 विधायक अविश्वास प्रस्ताव ला सकते थे। ऐसा करने से कुछ भी नहीं रोक नहीं थी।


- सुप्रीम कोर्ट संवैधानिक पीठ, 11 मई, 2023, सोर्सः लाइव लॉ

नबाम रेबिया फैसला बड़ी बेंच को भेजा

मुख्य न्यायाधीश ने आदेश सुनाते हुए कहा कि एक बड़ी बेंच द्वारा नबाम रेबिया मुद्दे की जांच करने की आवश्यकता है कि "क्या एक स्पीकर को हटाने के लिए प्रस्ताव पेश करने के इरादे का नोटिस जारी करना उन्हें संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने से प्रतिबंधित करता है ?" एक बड़ी पीठ को इसे भेजते हुए अदालत ने कहा कि नबाम रेबिया का मुद्दा वर्तमान कार्यवाही में सख्ती से नहीं उठा।

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क़मर वहीद नक़वी
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