बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों के लिए सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ने सीट बंटवारे को अंतिम रूप दे दिया है। इस समझौते के तहत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 137 सीटों पर जबकि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। दोनों दल अपने कोटे से कुछ सीटें गठबंधन के अन्य छोटे सहयोगियों को भी देंगे।

मुंबई भाजपा अध्यक्ष अमित साटम ने नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से एक दिन पहले इस समझौते की जानकारी दी। उन्होंने कहा, "गठबंधन सहयोगियों के बीच तालमेल पूरा हो चुका है।" साटम के अनुसार, एबी फॉर्म का वितरण होने के बाद दोनों दलों के उम्मीदवार मंगलवार को नामांकन दाखिल करेंगे।

बीएमसी की कुल 227 सीटों के लिए यह समझौता लंबी चर्चाओं के बाद हुआ है। कुछ दिन पहले तक मुंबई में सीट बंटवारे को लेकर गतिरोध था, जहां शिवसेना 100 से अधिक सीटों की मांग कर रही थी, जबकि भाजपा शुरुआत में कम सीटें देने को तैयार थी। हालांकि, दोनों दलों ने एकजुट होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

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अजित पवार की एनसीपी अलग लड़ेगी

महायुति के तीसरे घटक दल अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) इस चुनाव में अलग से मैदान में उतर रही है। एनसीपी ने अब तक 64 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। महायुति नेतृत्व ने पहले ही फैसला लिया था कि मुंबई में केवल भाजपा और शिवसेना ही गठबंधन के तहत चुनाव लड़ेंगी।

महाराष्ट्र में 29 नगर निगमों सहित बीएमसी चुनाव 15 जनवरी को होंगे, जबकि मतगणना अगले दिन होगी। हाल ही में हुए नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों में महायुति की बड़ी जीत के बाद गठबंधन मुंबई की सत्ता पर कब्जा जमाने के लिए आश्वस्त नजर आ रहा है।

यह समझौता महायुति के लिए चुनावी अभियान को मजबूती प्रदान करेगा और एकजुट लड़ाई सुनिश्चित करेगा। विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में फूट के बीच महायुति को फायदा मिलने की उम्मीद है।

शिंदे की सेना समझौते से कितना खुश

शिंदे गुट इस समझौते से पूरी तरह खुश तो नहीं दिख रहा, क्योंकि शुरुआती दौर में पार्टी ने 100 से अधिक सीटों की मांग की थी। भाजपा की ओर से पहले कम सीटें ऑफर करने पर असंतोष जताया गया था, लेकिन अंततः 90 सीटों पर सहमति बनने से गुट ने इसे स्वीकार कर लिया है। शिवसेना के नेताओं का कहना है कि सीटों की संख्या से ज्यादा गठबंधन की एकता और जीत महत्वपूर्ण है। हालांकि, अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कुछ कार्यकर्ताओं में थोड़ा असंतोष हो सकता है, लेकिन शिंदे और फडणवीस की व्यक्तिगत चर्चाओं से मामला सुलझ गया लगता है।


कितना असर डाल पाएंगे अजित पवार अलग होकर

अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को महायुति नेतृत्व ने मुंबई में गठबंधन से बाहर रखा है, जिसके बाद एनसीपी ने अब तक 64 उम्मीदवारों की सूची घोषित कर अलग से चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यह कदम महायुति के लिए कुछ नुकसानदेह साबित हो सकता है, क्योंकि त्रिकोणीय मुकाबले में वोट बंट सकते हैं, खासकर उन वार्डों में जहां एनसीपी का प्रभाव है। विशेषज्ञों का मानना है कि एनसीपी के अलग लड़ने से विपक्षी महाविकास अघाड़ी को फायदा मिल सकता है, लेकिन महायुति की हालिया जीतों को देखते हुए इसका असर सीमित रहने की उम्मीद है।

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कुल मिलाकर, यह सीट बंटवारा महायुति के लिए चुनावी रणनीति को मजबूती देगा, लेकिन एनसीपी का अलग मैदान में उतरना और विपक्ष में ठाकरे बंधुओं की एकजुटता चुनौती पेश कर रही है। 15 जनवरी को होने वाले चुनावों में मुंबई की सत्ता की असली तस्वीर मतगणना के बाद ही साफ होगी, जहां महायुति अपनी एकता और विकास के एजेंडे पर भरोसा जता रही है।