क्या एकनाथ खडसे के पार्टी छोड़ने के बाद पंकजा मुंडे भी अपनी नयी राह चुनने की रणनीति बना रही हैं? या वह भारतीय जनता पार्टी में रहकर ही अपने कद को मज़बूत करने की क़वायद में जुट गयी हैं?
पंकजा की ये महत्तवाकांक्षी घोषणाएं दो सवाल खड़ी करती हैं। क्या वह बीजेपी में रहकर ऐसा करने वाली हैं या अपनी अलग पार्टी बनाकर? पंकजा मुंडे को लेकर ये सवाल एक साल पहले भी उठे थे, लेकिन हुआ कुछ नहीं।
क्या पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व अपने ओबीसी आधार को बनाये रखने के लिए महाराष्ट्र में पंकजा मुंडे को आगे लाने की रणनीति पर काम कर रहा है?
मुंबई और प्रदेश की अन्य महानगरपालिकाओं के चुनाव साथ मिलकर लड़ने की अब जो ख़बर आ रही है, वह यह संकेत दे रही है कि बीजेपी को अब स्थानीय निकाय संस्थाओं से सत्ता से बाहर करने की रणनीति ठाकरे सरकार ने बना ली है।