महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के दो प्रमुख नेताओं, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच तनाव बढ़ता नजर आ रहा है। दोनों नेताओं के बीच चल रहा 'फाइल युद्ध' अब खुलकर सामने आ गया है, जो शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच गठबंधन की एकता पर सवाल उठा रहा है।

शिंदे का निर्देश, सभी फाइलें पहले उनके पास

मुंबई के पत्रकारों ने बताया कि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपनी पार्टी शिवसेना के मंत्रियों को निर्देश दिया है कि वे सभी फाइलें पहले उनके पास भेजें, इसके बाद ही उन्हें अंतिम मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री फडणवीस के पास भेजा जाए। यह निर्देश पिछले दो हफ्तों से लागू है और शिवसेना के नौ कैबिनेट मंत्रियों और दो राज्यमंत्रियों द्वारा इसका पालन किया जा रहा है। इस कदम को शिंदे की ओर से अपनी पार्टी के हितों को मजबूत करने और फंड आवंटन में अधिक हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

फडणवीस का जवाबी कदम 

दूसरी ओर, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे के नेतृत्व वाले शहरी विकास विभाग (यूडीडी) को निर्देश दिया है कि फंड और चल रही योजनाओं से संबंधित सभी फाइलें सीधे उनके कार्यालय में भेजी जाएं। यह कदम शिंदे के निर्देश के जवाब में देखा जा रहा है, जिससे दोनों नेताओं के बीच सत्ता का टकराव और गहरा गया है।
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नौकरशाही में असमंजस

परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि शिंदे के निर्देश के बाद नौकरशाहों ने स्थापित प्रोटोकॉल की ओर ध्यान दिलाया, जिसमें फाइलें पहले वित्त मंत्री और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पास, फिर शिंदे के पास और अंत में फडणवीस के पास जानी चाहिए। हालांकि, अब शिवसेना मंत्रियों के कार्यालयों से फाइलें सीधे शिंदे के पास भेजी जा रही हैं। मंत्रालय के एक अधिकारी ने इसे स्थापित व्यवस्था का उल्लंघन बताया।

फंड आवंटन को लेकर असंतोष

एक रिपोर्ट के अनुसार, शिंदे का यह कदम तब आया जब उन्हें लगा कि उनकी पार्टी के पास मौजूद विभागों को पर्याप्त फंड नहीं मिल रहा। नियमों के अनुसार, फंड का बंटवारा सभी दलों के मंत्रियों के बीच समान रूप से होना चाहिए, लेकिन शिंदे चाहते हैं कि शिवसेना के मंत्रियों को अधिक हिस्सा मिले। एक शिवसेना नेता ने बताया कि शिंदे ने अपने एक मंत्री को फडणवीस से बार-बार मिलने के लिए फटकार लगाई थी, क्योंकि उन्हें लगता था कि उनके प्रस्ताव मुख्यमंत्री के प्रभाव में तैयार किए जा रहे हैं।

बीजेपी विधायकों की शिकायत 

हाल ही में संपन्न मानसून सत्र के दौरान, बीजेपी विधायकों ने फडणवीस से शिकायत की थी कि विशेष सहायता योजनाओं के तहत फंड और संसाधन शिवसेना के विधायकों को अधिक दिए जा रहे हैं, जबकि बीजेपी के विधायकों को नजरअंदाज किया जा रहा है। खासकर, नगर निगम और नगरपालिका चुनावों से पहले शहरी विकास विभाग के तहत विशेष सहायता फंड का उपयोग एक पार्टी के पक्ष में किया जा रहा है।

पहले भी रहा है तनाव

शिंदे और फडणवीस के बीच यह तनाव नया नहीं है। दिसंबर 2024 में महायुति सरकार के गठन के बाद से ही दोनों नेताओं के बीच सत्ता को लेकर खींचतान की खबरें आती रही हैं। हालांकि, मार्च और अप्रैल 2025 में दोनों नेताओं के बीच सुलह के संकेत दिखे थे, जब सरकार ने सभी प्रशासनिक फाइलें दोनों उपमुख्यमंत्रियों (शिंदे और अजित पवार) के माध्यम से फडणवीस के पास भेजने का आदेश दिया था।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह 'फाइल युद्ध' महायुति गठबंधन में गहरे अंतर्विरोधों को दर्शाता है। शिंदे और फडणवीस के बीच यह तनाव न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं को प्रभावित कर रहा है, बल्कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों, विशेष रूप से बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनावों पर भी इसका असर पड़ सकता है।
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यह तनाव महायुति गठबंधन की एकता और सरकार के कामकाज पर सवाल उठा रहा है। क्या यह केवल एक अस्थायी टकराव है या गठबंधन के लिए दीर्घकालिक चुनौती साबित होगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। फिलहाल, यह 'फाइल युद्ध' महाराष्ट्र की सियासत में एक नया तूफान लाने को तैयार है।