महाराष्ट्र पर वङ्कापात (वज्रपात) गिरे और सब कुछ क्षणों में नष्ट हो जाए, ऐसा क्रूर निर्णय चुनाव आयोग ने शिवसेना के मामले में दिया है। गद्दार सिंधे गुट ने आपत्ति जताई इसलिए हिंदू हृदयसम्राट शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित की गई शिवसेना का नामोनिशान ख़त्म करने की अघोरी कोशिश की गई है। चुनाव आयोग ने ‘धनुष-बाण’ चुनाव चिह्न फ्रीज करने और ‘शिवसेना’ का नाम स्वतंत्र रूप से उपयोग में लाने पर रोक लगानेवाला अंतरिम आदेश भी जारी किया है। चुनाव आयोग ने ऐसा निर्णय देकर महाराष्ट्र के जीवन में घना अंधेरा ला दिया है।
शिंदे सुपारीबाजों के सरदार, दानव; औरंगजेब जैसी दुष्टता की: सामना
- महाराष्ट्र
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- 10 Oct, 2022
शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न पर चुनाव आयोग की रोक के बाद पार्टी के मुखपत्र सामना ने एक संपादकीय छापा है। जानिए इसने इसमें शिंदे को लेकर क्या-क्या लिखा। पढ़िए, सामना का पूरा संपादकीय-

बालासाहेब ठाकरे ने 56 वर्ष पहले मराठी अस्मिता, मराठी लोगों के न्याय-अधिकार के लिए एक अलख जगाई। हिंदुत्व को योगदान देकर बढ़ाया। आज उस शिवसेना का अस्तित्व ख़त्म करने के लिए इसी महाराष्ट्र की मिट्टी से एकनाथ शिंदे और उनके 40 उचक्के दिल्ली के गुलाम बन गए हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के मामले में सुपारीबाज की भूमिका अपनाई। शिंदे और उनके 40 बेईमानों का नाम महाराष्ट्र के इतिहास में काली स्याही से लिखा जाएगा।