देश के कुछ चुनिन्दा पत्रकारों ने एक अपील में तमाम संस्थाओं से आग्रह किया है कि वे मुस्लिमों समेत भारत के धार्मिक अल्पसंख्यकों पर चारों तरफ से हो रहे हमलों के खिलाफ आवाज उठाकर अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी को निभाएं।




इसमें कहा गया है कि पिछले कई वर्षों और महीनों से नफरत बढ़ रही है, हिंसा की भी वकालत की जा रही है। कभी चुनाव के मौके पर, तो कभी राजनीतिक रैली, कभी तथाकथित 'धर्म संसद' या कपड़ों पर या फिर किसी फिल्म की स्क्रीनिंग की आड़ में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। हिंसा के ये आह्वान मीडिया ने बड़े पैमाने पर रिपोर्ट किए हैं। लेकिन देश के बड़े नेताओं ने इन पर जानबूझ कर चुप्पी साध ली।


अपील में जिक्र है कि  कुछ महीनों पहले, हमने देखा कि कोविड -19 के बहाने मुसलमानों के खिलाफ लगातार नफरत फैलाई गई। यहां तक चुने हुए नुमाइंदों ने अल्पसंख्यकों के सामाजिक-आर्थिक बहिष्कार का आह्वान किया। इसी दौरान 'कोरोना जिहाद' शब्द मीडिया के एक खास वर्ग ने गढ़ा और प्रचारित किया।