भारत को बदलने और विकसित उच्च औद्योगिक देशों की श्रेणी में लाने के लिए ऐसा ऐतिहासिक संघर्ष केवल तभी सफल हो सकता है जब हम एकजुट हों। लेकिन जाति आधारित आरक्षण हमें विभाजित करता है। दलितों और ओबीसी को लाभान्वित करने की बात तो दूर, यह वास्तव में हमारे कुटिल और चालाक राजनेताओं को फ़ायदा पहुँचाता है।
वर्तमान में सभी दलों के हमारे राजनीतिक नेता तेज़ी से देश के औद्योगीकरण का नहीं बल्कि केवल अगला चुनाव जीतने का लक्ष्य रखते हैं, और इसके लिए उनका प्रमुख उपकरण जातिवाद और सांप्रदायिकता है।