अटल जी होते तो आज सौ बरस के होते।अटल भारतीय राजनीति का एक समदर्शी विचार हैं। नेहरु के आलोचक हैं और प्रशंसक भी । लोहिया के सखा हैं और विरोधी भी। इंदिरा से सहमत भी हैं और असहमत भी। अटल राजनीति में कट्टरता से दूर उदारता के निकट खड़े हैं। भारत आजाद होते ही हिंसात्मक और कड़वी राजनीति के मुहाने पर था । जिन नेताओं ने देश की राजनीति को मनुजता की तरफ लौटाया उसमें एक नाम अटल बिहारी का भी है । जिनकी हस्ती में अपने दल से ज्यादा बल है।