कामसूत्र को धर्मविरोधी बताकर विरोध किया गया।
यारो सुनो ! यह दधि के लुटैया का बालपनऔर मधुपुरी नगर के बसैया का बालपन॥मोहन सरूप निरत करैया का बालपनबन-बन के ग्वाल गाएँ चरैया का बालपन॥ऐसा था बांसुरी के बजैया का बालपनक्या-क्या कहूं मैं किशन कन्हैया का बालपन॥
इस तरह की साझा संस्कृति पर नाक भौं सिकोड़ने वाले हमेशा रहे हैं, और दोनों तरफ़ रहे हैं, लेकिन इस संस्कृति में पगकर जीवन में नया रस भरने वालों को मारा जाये, यह बौद्धों और बौद्धस्तूपों को नष्ट करने के लिए चले बर्बर अभियान के बाद 'राज्य के संरक्षण' में पहली बार हो रहा है। ऐसी घटना अंधकार युग का दस्तक होती हैं।