"इतना सन्नाटा क्यों है भाई? कोई बोलता क्यों नहीं?"
हिंदी फ़िल्म, ‘शोले’ में एके हंगल द्वारा निभाए पात्र 'रहीम चाचा' का डायलाग आज के समय की बड़ी सच्चाई बन गई है। 9 मई 2025 की रात जब मीर यार बलोच ने ऐतिहासिक घोषणा करते हुए पाकिस्तान से बलूचिस्तान की आज़ादी का एलान किया तो पूरा अंतरराष्ट्रीय समुदाय मुंह सिल कर बैठ गया। न विरोध न समर्थन, जैसे समझ ही न पा रहे हों कि क्या किया जाए।
बलूचिस्तान की आज़ादी का ऐलान महज एक और अलगाववादी बयान नहीं था। सिर्फ़ 48 घंटे पहले भारत के "ऑपरेशन सिंदूर" ने पाकिस्तान के नक्शे पर नई लकीरें खींची थीं। 1971 के बाद सबसे निर्णायक सैन्य कार्रवाई हुई थी। और अब पाकिस्तान के आधे भूभाग का स्वतंत्रता संग्राम सामने था। भू-राजनीति में इससे विस्फोटक घटना और क्या होती? दुनिया जो इसराइल की प्रत्येक ईंट-पत्थर पर हंगामा खड़ा करती है, रूस के हर क़दम पर आसमान सिर पर उठा लेती है, वो पाकिस्तान के आधे देश के अलग होने की घोषणा पर कानों में रुई ठूंसकर बैठी है। दरअसल, ये राजनीतिक स्वार्थों का खेल है।