दोनों देशों की सेनाओं और राजनयिकों के बीच जो बातचीत चल रही है उसमें कई जगहों से सैनिकों के पीछे हटने पर सहमति का दावा किया गया है लेकिन पैंगोंग त्सो झील इलाक़े पर फिंगर-4 से फिंगर-8 तक के आठ किलोमीटर तक के इलाक़े से चीनी सैनिकों को पीछे कर लेने के बारे में दोनों देशों के अधिकारी मौन हैं।
लद्दाख के देपसांग सीमांत इलाक़े में, जहाँ 2013 में चीनी सेना 20 किलोमीटर भीतर घुसी थी और जिसे तब की सरकार ने वापस जाने को मजबूर किया था वहाँ चीनी सेना के फिर घुसने की रिपोर्टें हैं जिन पर 24 जून की शाम तक आधिकारिक स्तर पर चुप्पी बरती गई है।
हालाँकि 22 जून को चीनी सेना के शिन्च्यांग इलाक़े के कमांडर मेजर जनरल ल्यु लिन और लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह के बीच 11 घंटे तक हुई गहन बातचीत को भारत ने सकारात्मक, रचनात्मक और सौहार्दपूर्ण की संज्ञा दी लेकिन 24 जून को भारतीय विदेश मंत्रालय के देर शाम जारी बयान से इस आशय के संकेत नहीं मिलते हैं कि तनाव और टकराव के इलाक़ों से चीनी सेना अपने ढाँचागत निर्माण को तोड़ देगी।