अब तक दिल्ली की विधानसभा सिर्फ़ तीन मामलों में क़ानून नहीं बना सकती थी— पुलिस, शांति-व्यवस्था और भूमि लेकिन अब हर क़ानून के लिए उसे उप-राज्यपाल से सहमति लेनी होगी। वह किसी भी विधेयक को क़ानून बनने से रोक सकता है। सर्वोच्च न्यायालय के 4 जुलाई 2018 के निर्णय को पढ़ें तो आपको उन अफसरों की बुद्धि पर तरस आने लगेगा, जिन्होंने यह विधेयक तैयार किया है और गृहमंत्री को पकड़ा दिया है।
अब तक दिल्ली की विधानसभा सिर्फ़ तीन मामलों में क़ानून नहीं बना सकती थी— पुलिस, शांति-व्यवस्था और भूमि लेकिन अब हर क़ानून के लिए उसे उप-राज्यपाल से सहमति लेनी होगी। वह किसी भी विधेयक को क़ानून बनने से रोक सकता है।