loader

पंजाब चुनाव: क्यों हारे चरणजीत सिंह चन्नी? 

पंजाब में चुनाव के पहले कांग्रेस के जीतने का पूरा  माहौल था। चरणजीत सिंह चन्नी की  देश में बड़ी छवि बन गई थी। पूरे देश से आवाज आ रही थी कि  कांग्रेस  पंजाब में वापसी करेगी। आम आदमी पार्टी टक्कर में तो थी जरूर लेकिन 2017 के मुकाबले में नहीं। देश में एक आवाज़ गई कि गांधी परिवार ने एक दलित को अहम सूबे का सीएम बनाया। 

जैसे चन्नी सीएम बने सिद्धू ने उनसे ऐसा व्यवहार किया जैसे कि वो कोई जूनियर हो। यह  दलितों को बर्दास्त नहीं हुआ। जब तक चन्नी संभलें तब तक क्षति हो चुकी थी। ये माना गया कि दलितों की आबादी करीब 32% है लेकिन ये बँटे हुए हैं। अगर दलितों का पूरा वोट पड़ जाता तो भी कांग्रेस जीत जाती। सवाल बनता है दूसरी जातियां तो अपने नेता के साथ फौरन चली जाती हैं तो दलित क्यों नहीं कांग्रेस के साथ गये ?  

           

       

सदियों से हुकुम मानने वाले जल्दी से दलितों को नेता नहीं मानते। बहुजन आंदोलन से दलितों में विभाजन बढ़ा है और पंजाब में भी रामदासिया बनाम मजहबी का सवाल है। दूसरी बात अब दलित पहले जैसा नहीं है कि जब चाहो भेड़ की तरह पीछे हांक दो। कैप्टन अमरिन्दर सिंह के समय में दलितों के साथ न्याय नहीं हुआ था।

सिद्धू की बयानबाजी

सबसे ज्यादा नुक़सान नवजोत सिंह सिद्धू ने किया। बाहर की आलोचना से जनता इतनी जल्दी यकीन नहीं करती लेकिन जब प्रदेश का मुखिया ही ऐसा करे तो क्यों यकीन न करें? जो भी सरकार घोषणा करती थी विपक्ष से पहले प्रदेश अध्यक्ष ही हवा निकाल देते थे। उनकी बेटी ने भी चन्नी पर प्रहार किया। इससे यह भी संदेश गया कि चन्नी दलित हैं, वे क्या करेगें? जातिवादी मानसिकता उभारने में सिद्धू के बयान सहयोगी सिद्ध हुए । सवर्ण जातियों ने सोचा कि पहले चन्नी को निपटा लो। 

ताज़ा ख़बरें
सुनील जाखड़ जब अध्यक्ष थे तो कभी भी पार्टी ऑफिस आते नही थे। संगठन के स्तर पर स्थिति बड़ी खराब थी। दूसरे प्रदेश से आए कार्यकर्ता चुनाव लड़ा रहे थे। उम्मीदवार गलत चुने गए। बाहर से प्रचार करने गए लोगों का वहां के समाज से जुड़ाव नही था। पंजाब के प्रभारी मिलते ही नही थे।दिल्ली के हजारों ऑटो - ट्रांसपोर्ट पंजाब में जाकर आप के झूठों का पर्दाफाश करना चाहते थे लेकिन पंजाब प्रदेश के नेतृत्व ने सहयोग नहीं किया। 
Charanjit singh channi lost in punjab election 2022 - Satya Hindi

चरणजीत सिंह चन्नी को हराने के लिए न केवल पार्टी के नेताओं ने प्रयास किया बल्कि बाह्य शक्तियों ने भी पूरा जोर लगाया। जिस दिन एक दलित को राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री बनाया तो पूरी कांग्रेस  निशाने पर आ गई। चन्नी की सफलता से राहुल गांधी का नेतृत्व मजबूत होता जो हर हाल में बीजेपी को मंजूर नही है। कुछ कांग्रेस के बड़े नेताओं को भी ये मंजूर नही था। 

बीजेपी को परेशानी ज्यादा हुई कि कहीं दलित सीएम का मॉडल सफल हुआ तो पूरे देश में मांग बढ़ेगी कि इनको भी ऐसा करना चाहिए, हो सकता है बड़े राज्य जैसे उप्र में ऐसी मांग उठ जाए। इससे काग्रेस का विस्तार होना शुरू हो जाए।

विचार से और खबरें

किसानों को नीचा दिखाना और अपने निर्णय को सही साबित करने के लिए कांग्रेस को हराना और ‘आप’ को जिताने से ऐसा संदेश भेजा गया कि किसान आंदोलन से कुछ फर्क नहीं पड़ा। उप्र का चुनाव बीजेपी के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण था। 

चन्नी को हराकर यह भी संदेश देने की कोशिश की गयी है कि दलित नैया पार नहीं लगा सकते। वास्तव यह मनोवैज्ञानिक खेल है और कांग्रेस को फिर से जोड़ने का प्रयास तेज करना चाहिए। जब बीएसपी खत्म हो रही है तो इससे अच्छा अवसर क्या हो सकता है । कुल मिलाकर चन्नी हारे नही बल्कि हराया गया।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
डॉ. उदित राज
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें