कोरोना संकट के दौरान आश्चर्यजनक रूप से केवल सरकारों की ही ज़िम्मेदारी पर बातें हुई हैं, नागरिकों की भूमिका पर कोई बहस नहीं हुई। महामारी से बचने के जो उपाय बताए गए हैं, उन्हें ही नागरिकों ने अपनी भूमिका और एक सीमा के बाद उनके उल्लंघन को दंडनीय अपराध मान लिया हो तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। लगभग सभी प्रजातांत्रिक व्यवस्थाओं में नागरिक इस तरह के उल्लंघन करते हैं।
कोरोना संकट के काल में सरकारों के साथ आम लोगों की भूमिका पर भी हो बहस
- विचार
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- 9 May, 2020

कोरोना संकट के कठिन समय में सरकारों की जिम्मेदारी के अलावा आम लोगों की क्या भूमिका है, इस पर भी बहस होनी चाहिए।
समाज जितना विकसित और सम्पन्न होगा, प्रतिबंधों का उल्लंघन और उनके प्रति विद्रोह भी उतना ही मुखर होगा। हम चूँकि अमेरिका और यूरोप की तरह सम्पन्न नहीं हैं इसीलिए विश्व का सबसे बड़ा और लम्बा लॉकडाउन बिना किसी मुखर विरोध के हमारे यहाँ जारी है।