कोरोना संकट के दौरान आश्चर्यजनक रूप से केवल सरकारों की ही ज़िम्मेदारी पर बातें हुई हैं, नागरिकों की भूमिका पर कोई बहस नहीं हुई। महामारी से बचने के जो उपाय बताए गए हैं, उन्हें ही नागरिकों ने अपनी भूमिका और एक सीमा के बाद उनके उल्लंघन को दंडनीय अपराध मान लिया हो तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। लगभग सभी प्रजातांत्रिक व्यवस्थाओं में नागरिक इस तरह के उल्लंघन करते हैं।